कौटिल्य के ‘नागरिक’ का दायित्व
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Author(s):
DR. SANJAY CHAUDHARI
Vol - 4, Issue- 2 ,
Page(s) : 684 - 688
(2013 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
कौटिल्य नगर प्रषासन के लिए अपने नागरक नामक अध्याय में चर्चा करता है। कौटिल्य इस अध्याय में नगर सुरक्षा पर बल देता है। उसके विधान अत्यंत कठोर मिलते हैं किन्तु साथ ही आपातकालीन आवष्यकता वाले लोगों के साथ उसका दृश्टिकोण मृदु भी हो जाता है। वह सफाई, आग और महामारियों को नियंत्रित करने के लिए कटिबद्ध दिखता है। वह नागरक को प्रतिदिन षहर को जलापूर्ति करने वाले संसाधनों का निरीक्षण करने की आज्ञा देता है। वह संदिग्धों को पकड़ने तथा अपराधियों को खुला छोड़ने का पक्षधर नहीं है। वह महिलाओं का उचित सुरक्षा करता है तथा गणिकाओं को नियंत्रित करने के लिए गणिकाध्यक्ष को भी तैनात करता है। कौटिल्य भवन निर्माण के लिए संहिता बनाता हुआ मिलता है जिससे आमने सामने के घरों के निवासियों को समस्या न हो। कौटिल्य की नगर व्यवस्था में राजधानी की व्यवस्था अधिक प्रतिबिंबित होती है क्योंकि वह राजपथ के लिए विषेश व्यवस्था का उल्लेख करता प्रापत होता है। कौटिल्य की व्यवस्था अत्यंत नूतन है तथा संभावना व्यक्त की जा सकती है कि पाटलीपुत्र में यही व्यवस्था व्याप्त रही होगी। प्रस्तुत प्रबंध में कौटिल्य की नगर व्यवस्था पर विचार प्रस्तुत किए गए हैं।
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.1
- मुखर्जी आर.के., चन्द्रगुप्त मौर्य एण्ड हिज टाइम्स, दिल्ली, 1988, पृश्ठ 133।
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.43
- मुखर्जी आर. के., चन्द्रगुप्त मौर्य एण्ड हिज टाइम्स, दिल्ली, 1988, पृश्ठः133।
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.8
- मुखर्जी आर. के., चन्द्रगुप्त मौर्य एण्ड हिज टाइम्स, दिल्ली, 1988, पृश्ठः133।
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003, 2.36.13-14
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.34
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.41
- मुखर्जी आर.के., चन्द्रगुप्त मौर्य एण्ड हिज टाइम्स, दिल्ली, 1988, पृश्ठ 140
- उपरोक्त पृश्ठ 140
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.30
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.31-33
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.27
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.16
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.18
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.19-20
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.22
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.23
- काँगले आर. पी., द कौटिल्य अर्थषास्त्र, द्वितीय खण्ड, दिल्ली 2003,2.36.25
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