International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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गुप्तकाल से राजपूत काल तक के शिल्पकार वाणिज्य व्यवसाय का अध्ययन
1 Author(s): DEEPAK KUMAR
Vol - 7, Issue- 11 , Page(s) : 27 - 34 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भारतीय समाज सदैव से कृषि प्रधान समाज रहा है। किसान ही इसके क¢न्द्र बिन्दु व रीढ़ रहे है लेकिन कहीं न कहीं शिल्पकार वाणिज्य-व्यवसाय भी इस समाज की परिधि में रहा है। इस परिधि की धुरी के बीच में सामंतवाद एक अहम बदलाव का सूचक, रहा जिसने प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन किया। गुप्तकाल भारत में वर्ण व्यवस्था से जाति व्यवस्था का आधार बना, इसी के उपरान्त आरम्भिक मध्यकाल तक आते-आते भारत में दास प्रथा का भी उदय हुआ। इस लम्बे समयांतराल में किसान, मजदूर, स्त्री, दास, अस्पृश्यता एवं शूद्रों की स्थिति में व्यापक फेरबदल हुआ जिससे एक नए भारत का निर्मांण भी हुआ।