( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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अथर्ववेदीय सूक्तों में वर्णित वैज्ञानिक तथा दार्षनिक जीवन ।

    1 Author(s):  JOGINDER SINGH

Vol -  6, Issue- 4 ,         Page(s) : 532 - 536  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

अथर्ववेद अर्थात् अथर्वों का वेद । चारों वेदों में अथर्ववेद चतुर्थ वेद है । अथर्ववेद में यदपि विविध प्रकार के विशयांे का समावेष है तथापि आध्यात्मिक, आदिभौतिक, आदिदैविक आदि विशयों से अथर्ववेद भरा पड़ा है । अथर्ववेदीय सूक्तों में वैज्ञानिक तथा दार्षनिक जीवन का सुन्दर वर्णन मिलता है । आचार्य बलदेव उपाध्याय के अनुसार अनेक भौतिकविज्ञानों के तथ्य इस वेद में यत्र तत्र बिखरें पड़े है । अथर्ववेद के पन्नों में जीवन जीने के सभी सूत्र विद्यमान है । अथर्ववेद में मनोविज्ञान, चिकित्साविज्ञान तथा षरीरविज्ञान जैसे उपयोगी विशय तो है ही साथ ही अन्य सामाजिक विशयों का समावेष है । अर्थवेद को विज्ञान काण्ड कहना असंगत नहीं है । सूर्यसिद्धान्त, ज्योतिशषास्त्र, बीजगणित, अंकगणित, खगोल, भूगोल इत्यादि विशयों का समावेष है ।

1. अथर्ववेद सुबोधभाश्य - 19.11.6 अषीमहि गाधमुत प्रतिश्ठां
2. अथर्ववेद, 19.9.6 षं नो मित्रः षं वरूणः षं विश्णुं षं प्रजापति ।
3. वही, 19.9.3 - इयं या परमेश्ठिनी वाग्देवी ब्रह्मसंषिता 
4. अथर्वाअङ्गिरस परम्परा में सांस्कृतिक मूल्य, पृ. 125
5. अथर्ववेद, 3.20.10 - आ रून्धां सर्वतो वायुस्त्वश्टा पोशं दधातु में ।

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