International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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सरस्वतीकण्ठाभरण वेफ कृत्प्रकरण की सूत्रासंरचना: एक समीक्षा
1 Author(s): DR. MOHINI ARYA
Vol - 7, Issue- 12 , Page(s) : 108 - 112 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
ग्यारहवीं शताब्दी में परमार वंश में एक ऐसे मनीषी का प्रादुर्भाव हुआ, जिसने संस्कृत वेफ विभिन्न क्षेत्रों को अपनी रचना से उपकृत किया। वे मनीषी हैं सरस्वतीमाता वेफ वरदपुत्रा महाराज भोजदेव। उनकी सर्वतोन्मुखी प्रतिभा को देखकर कोई भी विद्वान् आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकता क्योंकि भोजदेव की रचनायें विश्व में न वेफवल संख्या की दृष्टि से अपितु विषय की विविध्ता से भी अपूर्व हैं। भोज ने काव्यशास्त्रा, व्याकरणशास्त्रा, दर्शनशास्त्रा, वास्तुशास्त्रा, यु(कौशल, आयुर्वेद आदि सभी शास्त्रों से सम्बन्ध्ति ग्रन्थों की रचना की।