International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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बुढ़ापा
2 Author(s): MRS. SHILPA WADHWANI, DR. MADHVILATA DUBEY
Vol - 7, Issue- 9 , Page(s) : 154 - 157 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
वृद्धावस्था जीवन का अंतिम पहलू माना जाता है, इस अवस्था में वृद्धों को न केवल सुरक्षा की बल्कि सामाजिक प्रेम, सहयोग की भी आवश्यकता होती है। पारम्परिक समाजों में वृद्धों को विशेष सामाजिक व पारिवारिक स्थान, इज्जत प्राप्त होती थी तथा वे आयु के अंतिम क्षणों तक सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करते थे, समय के परिवर्तन के साथ, औद्योगीकरण, नगरीकरण, संयुक्त परिवार प्रणाली के विघटन के साथ वृद्धों की स्थिति, मान-सम्मान में तेजी से परिवर्तन आते चले गये। माता-पिता को देवता मानने वाली संतानें अब उनको किसी अनचाहे बोझ की तरह समझने लगी हैं।