तुलसी कृत ‘कवितावली’ में सामाजिक चेतना
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Author(s):
SUMANLATA
Vol - 7, Issue- 11 ,
Page(s) : 73 - 87
(2016 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
तुलसीदास ने अपने समय की इन परिस्थितियों को पहचाना और इसकी अभिव्यक्ति अपने काव्य में की। तत्कालीन समाज कुप्रथाओं का समूह था। उसमें आशा के स्थान पर निराशा, कर्मण्यता के स्थान पर अकर्मण्यता, शांति के स्थान पर अशांति और गति के स्थान पर स्थूलता आ गई थी।
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 81
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 179
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 120
- कबीर ग्रंथावली, काल कौ अंग 06 - श्याम सुन्दर दास
- तुलसीकृत कवितावली का अनुशीलन - भानु कुमार जैन, पृú 27
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 177
- तुलसी कृत कवितावली का अनुशीलन - भानु कुमार जैन, पृú 27
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 170
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 176
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या, पृú 97
- तुलसीकृत कवितावली का अनुशीलन, जैन, पृú 31
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 73
- ज्ीम संदक ूवनसक हपअम ं चसमदजपनिस वत मअमद ंद मगजतं.वतकपदंतल लपमसकए व िजीम चमंेंदजेए ूीपबी वूपदह जव ेवउम ेउंसस ेीवतजंहम व िचतवकनबमए ंतम नदंइसम जव चंल पद निसस ंउवनदज व ितमअमदनम.ंितउ ंतम उंकम चतप्रमए ेव जव ेचमंा इल जीमपत उंेजमते वत हवअमतदवते ंदक ूपअमे ंदक बीपसकतमद ेवसकए वद जीम चतवमजमग व िं बींतहम वत तमइमससपवद! तुलसी रसायन, भगीरथ मिश्र, पृú 21
- कवितावली, सुन्दरकाण्ड, पद संख्या 10
- वही, पद संख्या 05
- कवितावली, लंका काण्ड, पद संख्या 07
- कवितावली, लंका काण्ड, पद संख्या 34
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 46
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 125
- कवितावली, अयोध्यायकाण्ड, पद संख्या 06
- तुलसी: आध्ुनिक वातायन से, रमेश कुंतल मेघ, पृú 82
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 96
- तुलसी: आध्ुनिक वातायन से - रमेश कुंतल मेघ, पृú 83
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 84
- तुलसीदास और उनके ग्रन्थ: भगीरथ प्रसाद दीक्षित, पृú 153
- वही, पृú 147
- कवितावली, उत्तरकाण्ड, पद संख्या 85
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