International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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रामराज्य: यथार्थ और परिकल्पना
1 Author(s): SUMANLATA
Vol - 7, Issue- 10 , Page(s) : 83 - 87 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
मनुष्य का सुख प्रकृति के व्यवहार पर भी निर्भर करता है। रामराज्य मंे प्रकृति भी सुखद और अनुकूल है। यह कलिकाल की भाँति अकाल और महामारी पैदा करने वाली नहीं है। यहाँ ध्रती अन्न से सम्पन्न रहती है, नदियों में सुन्दर, निर्मल और सुस्वादु जल प्रवाहित होता है। वृक्ष और पफल पफलते-पूफलते हैं। हाथी और शेर एक साथ रहते हैं। सभी परस्पर प्रीतिपूर्वक रहते हैं। मेघ भी समयानुसार वर्षा करते हैं।