( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 157    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

मुगलकालीन आर्थिक ढांचे का परम्परागत रूप - ग्रामीण हस्तशिल्प

    1 Author(s):  DR. SUNIL KUMAR SINGH

Vol -  8, Issue- 3 ,         Page(s) : 51 - 56  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

मुगलकाल में शिल्प अभी तक कृषिकर्म से पृथक नही हुए थे। मुख्यतया गृह-उत्पादन तक ही सीमित थे। गांवो के किसान अपने घरों में ही यह गैर-कृषि व्यवसाय करते थे। सोलहवी-सत्रहवीं शताब्दी के मध्य इस प्रकार के ग्राम-समाज का धीरे-धीरे बराबर विघटन होता गया। इन परिवर्तनों का कारण गांव में संपत्ति की असमानता की खाई गहरी होते जाना था। इस शोध-पत्र में हम ग्रामीण हस्तशिल्पों के पांरपरिक आर्थिक ढांचे का, विशेषकर उन घरेलू उद्योगों का अवलोकन किया है जो किसानों के घरों में फल-फूल रहे थे। घरेलू उद्योगें से हमारा तात्पर्य उन कच्चे मालो का घर में (किसान के परिवार में) ससंाधन करने से है जो वस्तुओं का उत्पादन करते थे। उद्योग अभी तक व्यापार नही बना पाया था उसका अनिवार्य संबध कृषि से था जिसे कृषि से अलग नही किया जा सकता था। दोनो मिलाकर एक इकाई बनते थे। पितृसत्तात्मक कृषि और घरेलू उद्योगों (अर्थात कच्चे माल परिवार के काम की वस्तंुए तैयार करना) मध्यकालीन अर्थव्यवस्था की सबसे खास बात थी। दरअसल यह उसका आवश्यक अंग रहा है।

1. सोश्ल कंडीशंस इन दि फिफ्टींथ सेंचुरी, श्रीनाथ , फर्दर सोर्सेज आफ विजयनगर हिस्ट्री, भाग 3,  मद्रास 1946, पेज 52
2. बुचानन एफ0 एच0, ए जर्नी फ्राम मद्रास थु्र दि कंट्रीज आफ मैसूर, कनारा, एंड मालाबार भाग 1, लंदन 1807, भाग 2 पृष्ठ 263 
3. विल्क्स एम., हिस्टोरिकल स्केचेंज आफ दि साउथ आफ इंडिया, भाग 1, पृ0 181
4. मांटगोमरी मार्टिन आर., दि हिस्ट्री, ऐटिंक्विटीज, टोपोग्राफी एंड स्टैटिस्टिक आफ इस्टर्न इंडिया, कंप्राइजिंग डिस्ट्रिक्स आफ बिहार, शाहाबाद, भागलपुर, गोरखपुर, दीनाजपुर, पूर्णिया, रंगपुर एंड आसाम भाग 2 पृ0 961
5 . मांटगोमरी मार्टिन आर., ....................पृ0 975
6. मांटगोमरी मार्टिन आर., .....................पृ0 976
7. चोकसी आर.डी. , इकानामिक हिस्ट्री आफ दि बाम्बे एंड कर्नाटक (1818-1868) पूना 1945 पृ0 213
8. टेलर जे0ए0, ए डिस्क्रिप्टिव एंड हिस्टोरिकल अकांउट आफ दि काटन मैन्यूफैक्चर्स आफ ढाका इन बंगाल, लंदन 1851, पृ0 73
9. फर्दर सोर्सेज आफ विजयनगर हिस्ट्री, प्रकामक, के0ए0एन0 मारूरी, आर.एन. वैकेटरमनया भाग 3, पृ0 313
10. लोगन डब्ल्यू , मालाबार भाग 2, पृ0 ब्ब् ब्प्ग्ग्प्ट
11. दि ईस्ट इंडिया कपंनी, पेपर्स, रिपोटर््स एंड प्रोसीडिग्ंस, सेलेक्शन्स आफ पेपर्स फ्राम दि रिकार्डस ऐट दि ईस्ट इंडिया हाउस रिलेटिंग टू रिवेन्यू भाग-4, लंदन 1828, पृ0 661-662
12. मांटगोमरी मार्टिन आर., .......................पृ0 542
13. फर्दर सोर्सेज आफ विजयनगर हिस्ट्री, प्रकाशक, के0ए0एन0 शास्त्री, आर.एन. वैकेटरमनय्या भाग 3, पृ0 373
14. बुचानन एफ0 एच0, .......................पृष्ठ 265
15. साइक्स डब्ल्यू एच0, आन दि लैंड टेन्योर आफ दकन  भाग 2, पृ0 274
16. साइक्स डब्ल्यू एच0, आन दि लैंड टेन्योर आफ दकन  भाग 2, पृ0 349
17. दि ईस्ट इंडिया कपंनी, पेपर्स, रिपोर्ट्स एंड प्रोसीडिग्ंस, मिनट्स आफ एबिडेंस टेकेन विफोर द सिलेक्ट कमेटी आन दि आफेर्य आफ दि ईस्ट इंडिया कम्पनी, भाग 3, (रेवेन्यु) लंदन 1832, पृ0 359 
 

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details