( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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उत्तराखण्ड की अधिष्ठात्री नन्दा देवी के गीतों में रस की निष्पत्ति-

    1 Author(s):  SANJAY DUTT

Vol -  7, Issue- 10 ,         Page(s) : 164 - 167  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

रस, भाव, अभिनय, धर्मी, वृत्ति, प्रवृत्ति, सिद्धि, स्वर, आतोद्य, गान तथा रंग यह इस नाट्य के अंतगर्त आने वाले तत्वों का संग्रह है।1 नन्दा देवी के जागरों में स्वर, आतोद्य, गान, रंग, के साथ रसों का भी विधान है, नाट्य शास्त्र के छठै अध्याय के श्लोक तीन के अनुसार श्रृंगार, हास्य, करूण, रोद्र, वीर, भयानक, वीभत्स और अद्भुत ये आठ रस नन्दा देवी के जागरों में कही छाया रूप में और कहीं प्रकट रूप में पाये जाते हैं।

  1. नाट्य शास्त्र षष्ठम अध्याय श्लोक 2
  2. नाट्य शास्त्र 6ः5ः8
  3. श्रीमतीरामचन्दीग्रामक्वीली रूद्रप्रयाग
  4. विलियम एस सेक्सपृष्ठ 6
  5. नन्दाजागरभारतेन्दुनाट्य अकेडमीदेव सिंह पौखरिया 1995 पृ0 58
  6. वही पृ0 272
  7. डा0 शैलेन्द्र मैठाणी ग्राम ऊखीमठ, जिला रूद्रप्रयाग

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