( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानी-संग्रह ‘घुसपैठिये‘: एक समीक्षात्मक अध्ययन (दलित-साहित्य के विशेष संन्दर्भ में)

    1 Author(s):  RAMASHRE

Vol -  7, Issue- 11 ,         Page(s) : 187 - 196  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

हिन्दी में दलित साहित्य की शुरूआत ‘हीराडोम‘ की कविता, ‘अछुत की शिकायत‘(भोजपुरी) सन् 1914 ई0 से माना जाता है।इससे पहले स्वामी अच्छूतानंद ‘हरिहर‘ ने सन् 1912 ई0 में कुछ दलित कविताएं लिखी थी। लेकिन सही मायने में दलित साहित्य का प्रारंम्भ ओमप्रकाश वाल्मीकि के आत्मकथा ‘जूठन‘ सन् 1997 ई0 से माना जाता है। इसी संन्दर्भ में डाॅ0 सूर्यनारायण रणसुभे जी के मत से स्पष्ट होता है कि -”दलित साहित्य की शुरूआत ‘जूठन‘ आत्मकथा से इसलिए मानना पड़ता है क्यांेकि यहां विशुद्ध मानवीयता की दृष्टि है दयाभाव अथवा गिड़गिड़ाने की अथवा भाग्यवादी दृष्टी नहीं है।”

  1. -हिन्दी मासिक पत्रिका ‘बयान‘,संपादक-मोहनदास नैमिशराय, वर्षः 6,अंक 73,अगस्त 2012  पृ0सं0 35
  2. साहित्य मे दलित चेतना(लेख)ःडाॅ0दयानन्द बटोही, पश्यंती,त्रैमासिक पत्रिका, अप्रैल-जून 1998, पृ0सं0 129
  3. घुसपैठियेःओमप्रकाश वाल्मीकि, राधाकृष्ण प्रकाशन अंसारीरोड़ दरियागंज,नई दिल्ली, भूमिका पृ0सं0 अपपए अपपप 
  4. घुसपैठियेःओमप्रकाश वाल्मीकि, राधाकृष्ण प्रकाशन, अंसारीरोड़ दरियागंज,नई दिल्ली,       पृ0सं0-14,18,19,22,28,29,35,42,43,50,57,58,64,69,71,84,84,86,98,99,99,

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