International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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कनिष्क साम्राज्य का उदय और प्राचीन संस्कृति के विकास में उसका योगदान
1 Author(s): MEDHAVI KRISHNA
Vol - 7, Issue- 12 , Page(s) : 215 - 222 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
निःसन्देह कुषाण वंश का उदय और उसके साम्राज्य का विस्तार आज भी भारतीय इतिहासकार और शोधार्थियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। और इसमें भी कोई सन्देह नहीं की कुषाण वंश का उदय न केवल भारतीय इतिहास और संस्कृति को प्रभावित किया वरण् पूरे विश्व (खास कर पश्चिम से पूर्वी भू-भाग पर) के सांस्कृतिक इतिहास में उसका योगदान रहा। ऐसे में कनिष्क सम्राज्य के विस्तार का और उसके योगदान का अध्ययन करना एक शोधार्थी के शोध का विषय होना स्वभाविक ही होता है। वैसे तो कुषाण वंश भी शक, पहल्वन और यवन जातियों की तरह एक विदेशी जाति थे, तथापि भारत के विदेशी अक्रांता में सबसे प्रभावशाली कुषाण, जाति ही थी। इस जाति ने भारत देश की राजनीति पर अपना प्रभाव छोड़ा और कला के विकास तथा धार्मिक जीवन में भी इसका महत्त्वपूर्ण योगदान था।