( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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न्यायदर्शन में निहित शैक्षिक विचार

    1 Author(s):  DR. MANJU CHAUDHARY

Vol -  8, Issue- 8 ,         Page(s) : 10 - 13  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

इस शोध पत्र में न्यायदर्शन में निहित शैक्षिक विचारों का वर्णन किया गया है। जो अक्षपाद गौतम द्वारा प्रणीत न्यायदर्शन तर्कशास्त्र का विश्वविख्यात सर्वप्रथम ग्रन्थ है जिसका अध्ययन करके अनुसन्धाज्ञी का विश्वास और भी द्ृढ हुआ है कि उनके विचारों में ऐसे दार्शनिक एवम् शैक्षिक आदर्श व तथ्य विद्यमान है जिनके द्वारा भारतीय शिक्षा के राष्ट्रीयकरण की दिशा में अधिकार एवं सफलता पूर्वक पग उठाया जा सकता है। शिक्षा का केन्द्र बिन्दु बालक है शिक्षा का मुख्य लक्ष्य मानव का निर्माण होना चाहिए। शिक्षा के पाठ्यक्रम का निर्धारण शिक्षा के उद्देश्यो पर आधारित होना चाहिए। अध्ययन अध्यापन में उन्हीें विधियों का प्रयोग होना चाहिए जो व्यक्ति आचार विचार क्षमता का विकास कर सकें।

1. तुलसीदास स्वामिना, न्यायदर्शन, स्वामी प्रेस बरेली।
2. शान्ति प्रकाश आजेय, भारतीय तर्क शास्त्र तारून पब्लिकेशन वाराणसी, 1961।
3. उदयवीर शास्त्री, न्यायदर्शन विजयकुमार गोविन्द राय, दसानन्द दिल्ली। 
4. श्रीराम आचार्य, न्यायदर्शन, संस्कृति संस्थान बरेली।
5. सुबोध अदावल, भारतीय शिक्षा सिदान्त, गर्ग प्रकाशन इलाहाबाद।
6. दर्शानानन्द सरस्वती, न्यायदर्शन हिन्दू पुस्तक भण्डार दिल्ली। 

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