( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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माॅरीषसः भारतीय कुली प्रथा का आरम्भ एवं उन्मूलन

    1 Author(s):  AMIT KUMAR SAINI

Vol -  9, Issue- 5 ,         Page(s) : 18 - 26  (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

शोध-सार- माॅरीषस को जब ब्रिटिषों ने अपना उपनिवेष बनाया उस समय वहाॅं पर दास प्रथा का चलन था परन्तु दास प्रथा की समाप्ति के बाद ब्रिटिष बागान मालिकों के समक्ष श्रम की समस्या उत्पन्न हो गई थी। गन्ने की खेती और चीनी उत्पादन के लिये अधिक से अधिक श्रम की आवष्यकता थी अतः ब्रिटिषों ने पहली बार एक नया प्रयोग किया जिसके अन्तर्गत एक अनुबन्ध के द्वारा श्रमिकों का प्रवास कराया गया और यह प्रयोग सबसे पहली बार मांॅरीषस मे किया था। भारतीय गरीब अनपढ़ जनता को बहला-फुसलाकर भेज दिया जाता था। कालोनी मे जाकर भारतीय श्रमिकों को अनेक प्रकार की समस्याओं से गुजरना पड़ता था। कुछ वर्षों के उपरान्त भारतीयों को ज्ञात हुआ कि प्रवासी भारतीय श्रमिकों के साथ अमानवीय दुव्र्यवहार किया जा रहा है। इस श्रमिक प्रणाली मे बहुत अधिक बुराइयाॅं व्याप्त थी। अतः भारतीय राष्ट्रवादी नेताओं ने इस प्रणाली पर जोरदार प्रहार करना आरम्भ किया और ब्रिटिष अधिकारियों एवं सरकार पर इस अमानवीय प्रथा को समाप्त करने का दबाव बनाया। भारत ब्रिटेन का उपनिवेष था जिस कारण भारतीय राष्ट्रवादी नेता उनके सहयोग के बिना कुछ भी नही कर सकते थे। भारतीयों के एक स्वर मे आवाज उठाने का असर यह हुआ कि ब्रिटिष सरकार झुक गई और अन्ततः उसे माॅरीषस मे इस अमानवीय प्रथा का 1910 ई0 मे उन्मूलन करने की घोषणा करनी पड़ी। शोध-पत्र- वर्तमान का माॅरीषस देष जो कि दक्षिण-पष्चिमी हिन्द महासागर मे स्थित है एक छोटा सा देष है, इस टापू को सबसे पहले डचों ने अपनी कालोनी के रुप मे विकसित करने का प्रयास किया था और सर्वप्रथम यहाॅं पर गन्ने की खेती कराना आरम्भ किया था परन्तु वह पूर्णरुप से सफल नही हो पाये थे, डचों के उपरान्त माॅरीषस फ्रांसीसियों का उपनिवेष बना जिन्होने लगभग 90 वर्षों तक शासन किया और इसे पूर्ण विकसित कालोनी बनाने का प्रयास किया। औपनिवेषिक सत्ता विस्तार के अन्र्तगत ब्रिटिषों ने 1810 ई0 मे माॅरीषस को अपनी औपनिवेषिक कालोनी बनाने मे सफलता पाई। ब्रिटिषों ने माॅरीषस को एक गन्ना कालोनी के रुप मे विकसित किया और भारतीय गरीब जनता को कुलियों के रुप मे यहाॅं पर प्रवास कराया। ब्रिटिषों ने 1833 ई0 मे ब्रिटेन एवं अपनी औपनिवेषिक कालोनियों से दास प्रथा का उन्मूलन कर दिया परन्तु माॅरीषस मे दास व्यवस्था की जटिलताओं के कारण 1835 ई0 मे दास प्रथा अधिनियम लागू हो पाया था। दास प्रथा के उन्मूलन के समय, दास-मालिकों को उनके दासों के बदले मे 2,112,632 पौंड का मुआवजा मिला । दास प्रथा की समाप्ति के बाद बागान मालिकों के समक्ष श्रम का संकट उत्पन्न हो गया था और इस संकट से बचने के लिये मुक्त हुये दासों को अपने पुराने मालिकों के लिये कुछ वर्षों तक अभी और कार्य कराया गया था।

  1.   तिलक, विजयलक्ष्मी, माॅंरीषियन हिस्ट्रीः फ्राम इट्स बिगनिग्स टू माॅडर्न टाइम्स, एम0जी0आई0, माॅरीषस, 2001, पृष्ठ सं0 212, द्वारा उद्धृत मिश्रा, अमित कुमार, माॅरीषस, (हिन्दी अनुवाद, रघुवीर शर्मा), राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत, 2015, पृष्ठ सं0 35 
  2.   साहू, अजय कुमार, केडकर ,लक्ष्मी नारायण, ग्लोबल इंडियन डाइस्पोरा, हिस्ट्री कल्चर एण्ड आइडेन्टिटी, रावत पब्लिकेषन,न्यू दिल्ली, 2012, पृ0सं0 39
  3.   स्पीच आफॅ गोपाल कृष्ण गोखले, जी0ए0 नेट्सन एण्ड कम्पनी मद्रास, सेकेण्ड एडिसन्, (तिथि अंकित नही है) प्र0सं0 620, 4 मार्च 1912 ई0 को मि0 गोखले ने शर्तबन्ध श्रमिकों के प्रवास पर इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल मे यह वक्तव्य दिया था।
  4.   साहू, अजय कुमार, केडकर ,लक्ष्मी नारायण, पूर्वाेक्त पृ0सं0 39
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  7.   रिपोर्ट आफ दि टुªथ एण्ड जस्टिस कमीषन वोल्यूम द्वितीय, माॅरीषस ,2011, फिगर नं0 17,18,19 एवं 20
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  12.   डनेमम छंजपवदंस कमे क्वनंदमेए ष्स्म बवउउमतबम बवसवदपंस इवतकमसंपे ंन 18म ेपध्बसमष्ए ठवतकमंनगए स्ं चवतजम कमे ।दजपससमेएूूूण्उनेमम.कवनंदमेण्ति द्वारा उद्धृत , रिपोर्ट आफ दि टुªथ एण्ड जस्टिस कमीषन पूर्वाेक्त, पृ0सं0 158
  13.   डंतपदंए ब्ंतजमत ंदक ब्तपेचपद ठंजमेए म्उचपतम ंदक सवबंसपजलरू ं हसवइंस कपउमदेपवद जव जीम 1857 प्दकपंद न्चतपेपदहए श्रवनतदंस व िळसवइंस भ्पेजवतल ;2010द्ध 5ए चण् 68ए कवपरू10ण्1017ध्ै1740022809990337 द्वारा उद्धृत , रिपोर्ट आफ दि टुªथ एण्ड जस्टिस कमीषन पूर्वाेक्त , पृ0सं0 158
  14.   जीओघजन, जे0, पूर्वोक्त , पृ0सं0 69
  15.   उक्त पृष्ठ संख्या, 70
  16.   ब्राउन , मेजर जे0 सेन्ट जे0 ओर्डे, रिपोर्ट आॅन लेबर कण्डीषन इन सीलोन, माॅरीषस एण्ड मलाया ,हिज्स् मैजेस्टी स्टेषनरी आफिस , लंदन , 1943  पृ0सं0 57
  17.   रिपोर्ट आफ दि टुªथ एण्ड जस्टिस कमीषन, पूर्वाेक्त , पृ0सं0 49
  18.   रिपोर्ट आफ दि कमेटी आॅन इमिग्रेषन फ्राम इंडिया टू दि क्राउन कालोनीज एण्ड प्रोटेक्टोरिएटस, लंदन , जून 1910 ,पृ0सं0 49
  19.   रिडले, एस0, रिपोर्ट आॅन दि कन्डीषन आफ इंडियन इन माॅरीषस 1940, गवरमेन्ट आफ इंडिया प्रेस न्यू दिल्ली , 1941 पृ0सं0 79
  20.   उक्त पृ0सं0 02। 
  21.   प्रोसीडिंग आॅफ इंडियन नेषनल कांग्रेस 1916 बम्बई, पृष्ठ सं0 89
  22.   प्रोसीडिंग आॅफ इंडियन नेषनल कांग्रेस 1915 बम्बई, पृष्ठ सं0 81  
  23.   स्पीच आफॅ गोपाल कृष्ण गोखले, पूर्वोक्त पृष्ठ सं0 631
  24.   एक भारतीय हृदय, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं0 18
  25.   रिपोर्ट आफ दि टुªथ एण्ड जस्टिस कमीषन पूर्वोक्त, पृष्ठ सं0 195 

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