International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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समकालीन हिन्दी कविता और रघुवीर सहाय
1 Author(s): DR. ASOK KUMAR
Vol - 9, Issue- 7 , Page(s) : 38 - 43 (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
नयी कविता के पश्चात् साठोत्तर वर्षो में कविता एक नये दौर से गुजरी है। कविता की जीवन्तता इस बात पर निर्भर करती है कि वह पाठक को अपने अन्दर कितना डुबाती है और अपने इर्द-गिर्द का कितना आभास कराती है। जब तक वह समाज का ताना-बाना और उसके परिवेश का वर्णन करती है तब तक वह कविता है। समकालीन कविता अपने युग एवम् परिवेश से सम्पृक्त है। इस कविता में हम अपने वर्तमान को देख सकते है। इसमें हमारी आकांक्षा-अपेक्षा, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद सब शामिल होते है। समकालीन कविता का प्रमुख स्वर व्यंग्य और आक्रोश से लबरेज है।
1. हिन्दी साहित्य: युग और प्रवृत्तियां - डाॅ. शिवकुमार शर्मा पेज नं0 518