1. अरविंद जैन, ‘‘उत्तराधिकार या पुत्राअधिकार‘‘, औरत होने की सजा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली परिवधिति, 2006 पृष्ट सं 260-261
2. रेनू त्रिपाठी एवं अर्पणा त्रिपाठी, ‘‘कार्यालय में महिलाएं‘‘, कामकाजी महिलाए, खुशी पब्लिकेशन, नई दिल्ली प्रथम संस्करण, 2011 पृष्ट सं 61-64
3. अरविंद जैन, ‘‘कोख, कानून और कूररता‘‘, औरत होने की सजा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली परिवधिति, 2006 पृष्ट सं-69
4. अरविंद जैन, ‘‘बहन के नाम पाती‘‘, औरत होने की सजा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली परिवधिति, 2006 प्रष्ट सं-152
5. अरविंद जैन, ‘‘पितृत्व परिक्षण-न्यायपलिका धर्म संकट में‘‘, औरत होने की सजा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली परिवधिति, 2006 पृष्ट सं-106
6. अरविंद जैन, ‘‘बहन के नाम पाती‘‘, औरत होने की सजा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली परिवधिति, 2006 पृष्ट सं 149-150
7. अरविंद जैन, ‘‘शोषण से दबी स्त्री देह‘‘, औरत होने की सजा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली परिवधिति, 2006 पृष्ट सं 156-157
8. अरविंद जैन, ‘‘योन हिंसा और न्याय की भाषा‘‘, औरत होने की सजा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली परिवधिति, 2006 पृष्ट सं-208
9. अरविंद जैन, ‘‘योन हिंसा और न्याय की भाषा‘‘, औरत होने की सजा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली परिवधिति, 2006 पृष्ट सं-207.