( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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कुमाँऊनी लोकगीतों पर बालीवुड का प्रभाव

    1 Author(s):  HIRA ANNA

Vol -  8, Issue- 10 ,         Page(s) : 88 - 90  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

कुमाँऊनी लोकगीत हमारी कुमाँँऊनी संस्कृति, परंपरा का एक अहम हिस्सा है । लोकगीत में मानव जीवन के उल्लास, उंमग, करुणा उसके रुदन अर्थात उसके संपूर्ण सुख- दुख की कहानी चित्रित होती है। साथ ही कल्पना का समावेश भी रहता है। दरअसल लोकगीत संवेदनशील हृदय के उल्लास अथवा व्यथा से अनायास प्रस्फुटित होने वाले आवेग हैं, जिस में शास्त्रीय नियमों का कोई स्थान नहीं है। दरअसल एक लोकगीतकार अपने कंठ से इस प्रकार अभिव्यक्ति देता है, कि सुनने वाला भाव विभोर तथा तल्लीन होकर लोकगीत का आनंद लेता है।उससे तादात्मय स्थापित कर लेता है। कुमाऊँ में लोकगीत की परंपरा गंधर्वों, किन्नरों प्रजातियों के समय से है।जिस समय हमारे पर्वतीय क्षेत्रों में लोग अनेक कष्टों, तकलीफों, अभावों से युक्त जीवन जी रहे थे। यहाँ सुख शांति , मनोरंजन तथा आनंद प्रदान करने वाली कोई वस्तु ना थी। ऐसे समय लोकगीत ही ऐसा साधन बना, जिसने पर्वतीय लोगों को बेहद आनंदित किया, उनको सुकून दिया तथा उनका मनोरंजन किया। लोकगीत का कुछ ऐसा प्रचलन आता है, जिसकी एक परंपरा बनती है तथा उसमें आवश्यकतानुसार जोड- तोड भी होते रहते हैं। ज्यों-ज्यों मनुष्य ने प्रगति की, त्यों-त्यों मनुष्य को आनंदित करने वाले, उसका मनोरंजन करने वाले साधनों में भी परिवर्तन होने लगा। आज मानव को आनंदित करने के लिए सिनेमा है, वीडियो है, इंटरनेट है, कंप्यूटर है, टी.वी. तथा केबल टी.वी.हैं।

  1. उत्तराखंड का सांस्कृतिक इतिहास. डीण्डीण् शर्मा
  2. अमर उजाला
  3. यूट्यूब

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