( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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उपनिषदों में आत्मा की अवधारणा

    1 Author(s):  DR. SURYA BHUSHAN DUBEY

Vol -  8, Issue- 9 ,         Page(s) : 209 - 213  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

उपनिषद् हमारे वैदिक दर्शन के सारभूत सिद्धान्तों के प्रतिपादक हैं। उपनिषद् का अर्थ है- शिष्य का गुरू के समीप ध्यानपूर्वक परमतत्त्व का गूढ़ उपदेश सुनने के लिए बैठना, जिससे शिष्य की अविद्या का नाश होता है, उसे आत्मतत्त्व का ज्ञान एवं ब्रह्म की प्राप्ति होती है, उसके कर्म-बन्धन एवं उससे उत्पन्न दुःखों का शिथिलीकरण होकर क्षय हो जाता है। आत्मतत्त्व स्वतः सिद्ध एवं स्वप्रकाश है। किसी भी जीव के शरीर में एकमात्र चेतन तत्त्व आत्मा ही है। समस्त इन्द्रियाँ आत्मा की चेतनता से ही चेतना का अनुभव करती है। आत्मा अजर, अमर, अनादि एवं अजन्मा है, उसका कभी नाश नहीं होता, और न ही वह कभी जन्म ही लेता है। यद्यपि इन्द्रिय, मन, बुद्धि, वाणी ये सब आत्मा से ही प्रकाशित हैं तथापि ये आत्मा को जान पाने में समर्थ नही होते हैं। स्वानुभूति द्वारा ही आत्मा का साक्षात्कार किया जा सकता है।

1. गोयन्दका हरिकृष्णदास, संवत् 2073 कठोपनिषद् (ईशादि नौ उपनिषद्) गीताप्रेस गोरखपुर, वल्ली-2, अध्याय-1, मन्त्र-18
2. संवत् 2068, श्रीमद्भगवद्गीता, गीताप्रेस गोरखपुर, अध्याय-2, श्लोक-20
3. गोयन्दका हरिकृष्णदास, संवत् 2073, कठोपनिषद् (ईशादि नौ उपनिषद्) गीताप्रेस गोरखपुर, वल्ली-1, अध्याय-3, मन्त्र-3,4.
4. संवत् 2058, बृहदारण्यकोपनिषद्, गीताप्रेस गोरखपुर, अध्याय-4, ब्राह्मण .-5, मन्त्र-6
5. गोयन्दका हरिकृष्णदास, संवत् 2073 कठोपनिषद् (ईशादि नौ उपनिषद्) गीताप्रेस गोरखपुर, वल्ली-2, अध्याय-1, मन्त्र-23
6. संवत् 2058, छान्दोग्योेपनिषद्, गीताप्रेस गोरखपुर, अध्याय-6, ब्राह्मण .-13, मन्त्र-2
7. गोयन्दका हरिकृष्णदास, संवत् 2073 श्वेताश्वतरोेपनिषद् (ईशादि नौ उपनिषद्) गीताप्रेस गोरखपुर, अध्याय-5, मन्त्र-8
8. गोयन्दका हरिकृष्णदास, संवत् 2073 श्वेताश्वतरोेपनिषद् (ईशादि नौ उपनिषद्) गीताप्रेस गोरखपुर, अध्याय-5, मन्त्र-9, 10.
9. गोयन्दका हरिकृष्णदास, संवत् 2073 माण्डुक्योपनिषद् (ईशादि नौ उपनिषद्) गीताप्रेस गोरखपुर, मन्त्र-7
10. गोयन्दका हरिकृष्णदास, संवत् 2073 मण्डुकोपनिषद् (ईशादि नौ उपनिषद्) गीताप्रेस गोरखपुर, मुण्डक-3, खण्ड 1 मन्त्र -1.
11. गोयन्दका हरिकृष्णदास, संवत् 2073 मण्डुकोपनिषद् (ईशादि नौ उपनिषद्) गीताप्रेस गोरखपुर, मुण्डक-2, खण्ड 2  मन्त्र -8.

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