( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भारतीय संस्कृति का मूलाधार तत्व-‘शिक्षा’

    1 Author(s):  VARSHA RATHORE

Vol -  8, Issue- 10 ,         Page(s) : 130 - 135  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

किसी समाज की शिक्षा में यदि कोई विशेषता मिलती है तो उसका एकमात्र कारण उस समाज की संस्कृति है। वस्तुतः प्रत्येक समाज की शिक्षा उसकी अपनी संस्कृति के अनुरूप ही व्यवस्थित होती है। शिक्षा संस्कृति का अभिन्न अंग है। शिक्षा व संस्कृति के संबध को ब्रोमेल्ड इस प्रकार परिभाषित करते है - ‘संस्कृति की सामग्री से ही शिक्षा का प्रत्यक्ष रूप से निर्माण होता है और सामग्री शिक्षा को न केवल उसके स्वयं के उपकरण वरन् उसके अस्तित्व का कारण भी प्रदान करती है।’’1 प्रस्तुत कथन से स्पष्ट है कि शिक्षा संस्कृति के अभाव में निस्सार एवं निष्प्रयोजन है।

1. शिक्षा तथा उदीयमान भारतीय समाज (डाॅ. श्रीमती साधना गोदिका/डाॅ. श्रीमती समिता सिंह चैहान)
2. वही, पृष्ठ संख्या - 19
3. वही, पृष्ठ संख्या - 13
4. वही, पृष्ठ संख्या - 14
5. भारतीय समाज और शिक्षा (लक्षता गुप्ता) पृष्ठ संख्या - 79
6. वही, पृष्ठ सं. - 79
7. हरियाणवी संस्कृति के विविध परिदृश्य (डाॅ. दीपीका वालिया) पृष्ठ सं. - 39
8. भारतीय समाज और शिक्षा (लक्षता गुप्ता) पृष्ठ सं. - 88
9. वही
10. वही
11. वही

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