विवेकी राय का उपन्यास संसार
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Author(s):
VIBHA REEN, DR.SUNIL KUMAR
Vol - 10, Issue- 1 ,
Page(s) : 85 - 103
(2019 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
जीवन का यथार्थ साहित्य में निहित होता है। जीवन से सम्बन्धित प्रत्येक पक्ष को अनुभवों सहित अंकित करने की कला ही साहित्य है। उपन्यास विधा का अपना ही जीवंत एवं सशक्त प्रभाव है। उपन्यास में सम्पूर्ण जीवन का यथार्थ प्रस्तुत करने की अपूर्व क्षमता निहित होती है। वस्तुतः वर्तमान जीवन में विचारों और भावों का गद्यानुवाद ही उपन्यास है, जो मानव जीवन का साक्षात् प्रतिबिम्ब है।
- विवेकी राय, बबूल, वाराणसी: अनुराग प्रकाशन, 2001, पृ. 20
- वही, पृ. 65
- वही, पृ. 127
- वही, पृ. 87-88
- विवेकी राय, पुरुष-पुराण, दिल्ली: भारतीय ज्ञानपीठ, 1975, पृ. 46.
- वही, पृ. 30
- वही, पृ. 54
- वही, पृ. 55
- विवेकी राय, श्वेत-पत्र, दिल्ली: ज्ञानगंगा प्रकाशन, 2015, पृ. भूमिका
- वही, पृ. 90
- वही, पृ. 198
- वही, पृ. 138
- विवेकी राय, सोना माटी, दिल्ली: प्रभात प्रकाशन, 2010, पृ. 10
- वही, पृ. 261
- वही, पृ. 101
- विवेकी राय, नमामि ग्रामम्, दिल्ली: विद्या विहार, 2011, पृ. 37.
- वही, पृ. 77
- वही, पृ. 19
- वही, पृ. 45
- वही, पृ. 44
- विवेकी राय, मंगल भवन, दिल्ली: प्रभात प्रकाशन, 2009, पृ. 156
- वही, पृ. 113
- वही, पृ. 23
- वही, पृ. 95
- वही, पृ. 227
- विवेकी राय, अमंगलहारी, दिल्ली: ज्ञानगंगा प्रकाशन, 2010, भूमिका
- वही, पृ. 138.
- वही, पृ. 13
- वही, पृ. 138-139
- वही, पृ. 20
- वही, पृ. 87
- विवेकी राय, लोकऋण, दिल्ली: विश्वविद्यालय प्रकाशन, 2001, पृ. 17.
- वही, पृ. 26
- वही, पृ. 66-67.
- वही, पृ. 83
- वही, पृ. 30
- वही, पृ. 193
- विवेकी राय, समर शेष है, दिल्ली: प्रभात प्रकाशन, 2011, पृ. 377.
- वही, पृ. 139
- वही, पृ. 27
- वही, पृ. 23-24
- वही, पृ. 13
- विवेकी राय, देहरी के पार, दिल्ली: ग्रन्थ अकादमी प्रकाशन, 2011, पृ. 112.
- वही, पृ. 134
- वही, पृ. 77
- वही, पृ. 132
- वही, पृ. 168
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