( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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शरारती प्रभुत्त्व और नेतृत्त्व

    1 Author(s):  DR. NEETU SINGH TOMAR

Vol -  10, Issue- 4 ,         Page(s) : 21 - 29  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

नेतृत्त्व का मुख्य आधार नेता की प्रतिष्ठा से होता है। नेता समूह के लिए आदर्श समझा जाता है। नेता पिता की तरह सभी अनुयायियों का ध्यान रखता है। इसके साथ-ही-साथ अनुयायी अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं और नेता के बताए हुए मार्ग पर चलते हैं। नेतृत्त्व द्विमुखी प्रक्रिया है जिसमें नेता और अनुयायी दो विभिन्न्ा अंग हैं। जिसमें न केवल नेता अनुयायियों को प्रभावित करता है बल्कि वह अनुयायियों से भी प्रभावित होता है। अर्थात् नेतृत्त्व का तात्पर्य व्यक्तियों को प्रोत्साहित या निर्देशित करने वाली योग्यता से है जो व्यक्तिगत गुणों पर आधारित होती है न कि पद पर आधारित होती है।

1. अटल पंकज, राजनीति से दूर होती नीति, अक्षरलोक,अभिव्यजना फर्रूखाबाद, 2011, अंक-9
2. अहूजा राम, सामाजिक समस्याएँ, रावत पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली, तृतीय संस्करण, वर्ष 2016
3.. खरे हरीश, नैतिक आंकलन, सम्पादकीय-मंथन, दैनिक हाक, हरिद्वार, दिनांक-04.01.2016, पेज-4
4. जोशी धनंजय, नैतिक शिक्षा एवं नागरिक बोध, कनिष्क पब्लिशर डिस्ट्रीब्यूटर्स दिल्ली, 2005,
5. बघेल जी.एस., अपराधशास्त्र, विवेक प्रकाशन, जवाहरनगर, दिल्ली-110007, ग्यारहवां संस्करण, 2013
6. मुकर्जी रवीन्द्रनाथ, सामाजिक विचारधारा, विवेक प्रकाशन, जवाहरनगर, दिल्ली-7, 2002
7. शर्मा जी. एल., सामाजिक मुद्दे, रावत पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली, 2015

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