( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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कृठयाधारित उद्योग बनाम महिला सषक्तिकरण

    1 Author(s):  DR. KIRAN FATIMA

Vol -  10, Issue- 4 ,         Page(s) : 403 - 405  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

संविधान में महिलाओं की समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई माना गया है और उन्हें पुरूशों के बराबर का दर्जा तथा समान अधिकार प्रदान किये गये हैं। लेकिन वास्तविक षक्ति महिलाओं से अब भी दूर है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और जनजातिय समाज की महिलाओं से इस सन्दर्भ में कृशि कार्यों में संलग्न महिलाओं की स्थिति तो और अधिक दयनीय रही है। वर्श 2001 में निर्णय लिया गया था कि 2001 को महिला सषक्तिकरण वर्श के रूप में मनाया जाये। दुनियाभर में महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिये उनकी स्थिति को प्रभावित करने वाले संगठनों, सामाजिक इकाइयों एवं सत्ता संचालन करने वाली विभिन्न इकाइयों ने तेजी से महिलाओं को आरक्षण दिये जाने हेतु प्रयास किये जाने लगे वहीं इक्कीसवी षताब्दी के आगमन ने देष की नियोजित विकास को रेखांकित किया है।

1. प्रेमचंद की तेरह बाल कहानिया (संकलन व संपादन हरिकृष्ण देवसरे) निदेशक- नेशनल बुक ट्रस्ट इण्डिया नई दिल्ली - 110016 पृ. स. 133 व 138
2. गोदान (मुंशी प्रेमचन्द) प्रकाशक मनोज पाॅकेट बुक्स 761 मेन रोड़ बुराड़ी दिल्ली-110084 पृ.स. 15, 120, 226
3. हिन्दी उर्दू शब्द कोश     

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