International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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डाॅ. परषुराम शुक्ल की बाल कविता में प्रकृति, पर्यावरण तथा वन्य जीव
1 Author(s): SWAPNADEEP PARMAR
Vol - 9, Issue- 5 , Page(s) : 34 - 42 (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
आज के नौनिहाल कल के सुनहरे राष्ट्र की धरोहर है । हिन्दी बाल कविता के माध्यम से बच्चों का उनके व्यक्तित्व विकास के लिये आधार तैयार होता है एवं बच्चों में सूचनात्मक साहित्य, पर्यावरण एवं प्रकृति, सामाजिक एवं राष्ट्रीय चेतना आदि का बोध होता है । यह बच्चों की स्वस्थ चेतना शक्ति के लिये आवष्यक है । बच्चे बाल अवस्था में जैसा परिवेष एवं ज्ञान प्राप्त करते है, वैसे ही बन जाते है । बाल कविताएँ बच्चों की चेतना शक्ति को और अधिक प्रज्ञावान एवं ऊर्जावान बनाती है । बच्चे कविताएँ बच्चों की चेतना शक्ति को और अधिक प्रज्ञावान एवं ऊर्जावान बनाती है । बच्चे जैसा साहित्य पढ़ते है, उनकी मानसिकता वैसी ही विकसित होती है । बाल साहित्यकार बच्चों को अपनी बाल रचनाओं के माध्यम से परिवेष प्रदान करता है ।