( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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“रश्मिरथी“ अन्तरपाठीयता और जीवन मूल्यगत विचार पक्ष

    1 Author(s):  DR. SAMEER

Vol -  10, Issue- 2 ,         Page(s) : 109 - 113  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

“रश्मिरथी“ रामधारी सिंह “दिनकर“ जी का दूसरा प्रबन्ध काव्य है और यह उनकी “दंसवी“ क्रृति है। “दिनकर“ जी ने “रश्मिरथी“ की रचना पूर्णिया काॅलिज बिहार के प्रिंसिपल जनार्दन प्रसाद द्वादिज कवि जी के आवास पर एक एकांत कमरे में की थी। उस कमरे को अच्छी तरह सें धूप-दीप से सुगधित कर उन्होंने 16 फरवरी 1950 ई॰ को “रश्मिरथी“ का आरम्भ किया और 15 दिनों में ही इसे पूरा कर लिया। 1951 ई॰ मे सरका प्रथम संस्करण प्रकाशित हुआ। आज तक उदयाचल प्रकाशन पटना, नेशनल प्रकाशन दिल्ली और लोकभारती प्रकाशन इलाहाबाद सें इसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इसका उड़िया भाषा में भी अनुवाद हो चुका हैै।

1 राजगोपालाचारी चक्रवर्तीः महाभारत वाथा, दिल्ली मस्ता साहित्य मण्डल
2 मलिका मोहम्मद जायसी, अरवरावट, जायसी ग्रन्थली काशी: नगरी प्रचारिणी सभा ।
3 रामघरी सिंह दिनकर, रश्मिरथ, दिल्ली नेश्नल प्रकाशन।
4 बच्च्न सिंह, हिन्दी आलोचना के बीज शब्द, नई दिल्लीः राजकमल।
5 सावित्री सिन्हा, दिनकर प्रकाशन, दिल्ल्ीः राघा कृष्ण प्रकाशन, 1976।

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