( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति

    1 Author(s):  SUDHIR MALIK

Vol -  1, Issue- 2 ,         Page(s) : 169 - 179  (2010 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

भारतीय समाज की आंतरिक संरचना एवं सामाजिक व्यवस्था इस तथ्य से काफी हद तक प्रभावित होती है कि उस समाज में स्त्रियों की स्थिति कैसी है। जिस समाज में स्त्रियाँ अधिक पढ़ी-लिखी हैं, तथा समाज में उन्हें पुरूषों के समान ही अवसर प्राप्त हैं, और जहाँ स्त्री की स्थिति गर्व का विषय है, वही देश व समाज प्रगतिशील कहा जा सकता है। भारतीय समाज में काफी लम्बे समय से स्त्री की दशा विवाद का विषय रही है। इस विवाद का कारण यह नहीं की हम उन्हें मानसिक एवं जैवकीय रूप से दोषी मानते हैं। अपितु हमारी पवित्रता संबधी विचारधारा ही इस विवाद के पीछे का एक मुख्य कारण है। कुछ विद्वानों का यह मानना है कि स्त्रियों में कुछ ऐसे जन्मजात दोष हैं, जिनके कारण वे बराबर होने का दावा नहीं कर सकती। डा0 ए0ए0 रूवैक का कहना है कि स्त्रियों में जन्म से ही असंगति और परस्पर विरोध का दोष होना है।

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