( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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पंचायती राज व्यवस्था

    1 Author(s):  SUDHIR MALIK

Vol -  1, Issue- 3 ,         Page(s) : 44 - 55  (2010 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

स्वतन्त्रता प्राप्ती के बाद पंचायती राज की स्थापना भारत में लोक तान्त्रिक विकेन्द्री करण की अवधारणा को साकार करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम था। लोकतन्त्र की प्राणवायु है- पंचायती राज व्यवस्था। जिस प्रकार मानव जीवन के लिए प्राणवायु आक्सीजन की जरूरत होती है उसी प्रकार लोकतन्त्र की रक्षा के लिए उसकी उपस्थिति राज्य में हर जगह नितान्त आवश्यकता होती है और उसके तीन स्तर पर व्यवस्था की गयीः- 1. ग्राम स्तर पर, 2. ब्लाकस्तर पर, 3. जिला स्तर पर और यह काम करने में सक्ष्म पूर्णत सक्ष्म है। पंचायती स्तर पर फैली जन भागीदारी के द्वारा जन-जन को लोकतन्त्र में अपनी उपस्थिति का समान अवसर मिलता है।

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