( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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हिन्दू विधि में स्त्रीधन : एक समालोचना

    1 Author(s):  DR. SARITA KUMARI

Vol -  10, Issue- 6 ,         Page(s) : 115 - 119  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

इस पेपर का मुख्य उद्देश्य स्त्रीधन से संबंधित विधिक प्रावधानों को उजागर करना है। प्रस्तावना में स्त्रीधन तथा विधिक सम्पदा का प्रारम्भ तथा कब से यह अस्तित्व में आया, को बताने का प्रयास किया गया है तथा ये भी समझाने की कोशिश की गई है कि हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1955 की धारा 14 में इसका उद्देश्य क्या दिया गया है तथा स्त्रीधन तथा स्त्रीसम्पदा के विभिन्न आयाम बताये गये हैं और साथ ही हिन्दू स्त्री की स्त्रीसम्पदा में उसकी क्या शक्तियाँ है और इसके साथ ही यह भी चर्चा की गई है कि हिन्दू स्त्री अपनी सम्पत्ति को कैसे प्राप्त कर सकती है तथा उसके मुख्य स्रोत क्या हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णित महत्त्वपूर्ण निर्णयों का समावेश किया गया है जिसमें माननीय उच्चतम न्यायालय ने निर्णित किया है कि स्त्रीधन स्त्री की पूर्ण एवं आन्त्यत्तिक सम्पत्ति होगी।

1.      बृहदारण्यक उपनिषद्  6/4/8.
2.      शर्मा,  संगीता,  भारतीय  सास्ं
3.      ऋग्वेद  1/89/10.कृतिक  संदर्भ,  पृष्ठ 263.
4.      प्रतिभा रानी बनाम सूरज कुमार ए.आई.आर. 1985, उच्चतम न्यायालय 628.
5.      प्राचीन  विधि  व्यवस्था-  मुरलीधर  चतुर्वेदी.
6.      मुल्ला :  प्रिंसिपल  आॅफ  हिन्दू  लाॅ.
7.      पारस  दीवान-  हिन्दू  विधि.
8.      एस.के.  जैन :  महिलाओं  का  उत्पीड़न  एवं  विधिक  उपचार.
9.      आॅल  इण्डिया  रिपोर्टर.
10.     डाइवोर्स  मैट्रीमोनियल केसेज  2018.
11.     के.सी.  श्रीवास्तव-  हिन्दू  विधि
12.     बसन्तीलाल  बावेल-  हिन्दू  विधि
13.     सुन्दरलाल  टी.  देसाई-  मुल्ला :  प्रिंसिपल  आॅफ  हिन्दू  लाॅ
 

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