( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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मनरेगा का विष्लेषणात्मक अध्ययन

    2 Author(s):  SUNITA YADAV , DR. BRAHM PRAKASH

Vol -  10, Issue- 6 ,         Page(s) : 164 - 169  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

25 अगस्त 2005 में संसद में एक अधिनियम लागू कर नरेगा की स्थापना की गई। 2 अक्टूबर, 2009 को उसका नाम बदलकर मनरेगा किया गया। भारत के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह द्वारा 2 फरवरी, 2006 को आंध्र प्रदेष में नरेगा की स्थापना की गई। अपै्रल 2008 को भारत के सभी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र में लागू कर दी गई। मनरेगा दुनिया का अब तक का ऐसा पहला कानून है जिसमें व्याख्या पैमाने पर रोजगार गांरटी दी गई है इस अधिनियम का प्राथमिक उद्देष्य उन कार्यो के माध्यम से प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन को सुदृढ बनाना है। जो सूखा, वनों की कटाई तथा भूमि का कटाव जैसे स्थायी गरीबी के कारणों को दूुर करते है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी का उद्देष्य ग्रामीण लोगों की आजीविका सुरक्षा तथा स्थायी सम्प्रदायों का निर्माण करना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ सामुदायिक सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों का सृजन करना भी है। मनरेगा के कार्यो पर केन्द्र सरकार / राज्य सरकार द्वारा सतत निगरानी रखी जाती है। और लागत के आधार पर 50 प्रतिषत कार्यो को ग्राम पंचायत को सौंपा जाता है। सरकार के द्वारा समय-2 पर अनेक कई योजनाओं के विकास के लिए प्रयास किए जा रहे है। लेकिन बदलते समय के साथ स्थिति भी बदल रही है। विकास इतनी धीरे-गति से हो रहा है कि उसका महत्व ही समाप्त हो जाता है।

1. विष्व विकास सूचक विष्व बैंक रिपोर्ट 2007
2. धारा- 4 (3) अनुसूचित। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम भारत सरकार 2005
3. दिषा निर्देषन राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम 2005
4. तनुश्री सुद ‘‘नरेगा चेलेन्जिज इन इम्पिलियमेंटेसन इन को चेंज फिचरस सितम्बर 2006
5- https://www.google.com/

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