( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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प्रेमचंद और नागार्जुन के उपन्यासों में राजनीतिक विमर्श:तुलनात्मक विवेचन

    1 Author(s):  DR. PRAKASH KUMAR AGRAWAL

Vol -  10, Issue- 7 ,         Page(s) : 69 - 72  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

प्रेमचंद स्वाधीनता आंदोलन के युग के उपन्यासकार हैं और नागार्जुन स्वातंत्र्योत्तर युगीन। लेकिन दोनों ने युगीन राजनीतिक साम्प्रदायिक समस्याओं की ओर ध्यान दिया है। प्रेमचंद स्वाधीनता आंदोलन युग के जागरूक उपन्यासकार हैं ।इन्होंने देश के स्वाधीनता विषयक विचारों का प्रचार तथा प्रतिपादन साहित्य के माध्यम से किया है और राजनीति को प्रभावित करने वाले सामाजिक तत्वों के प्रति जनता का ध्यान आकृष्ट करते हुए राजनीतिक चेतना को मुखरित किया है।

1. गबन, प्रेमचंद ,पृ.240
2. रंगभूमि, प्रेमचंद ,पृ.539
3. वही, पृ.39
4. प्रेमचंद: कलम का सिपाही, अमृतराय, पृ.338
5.  प्रेमचंद घर में, शिवरानी देवी , पृ.69
6. कर्मभूमि ,प्रेमचंद ,पृ.155
7. प्रेमचंद के  स्त्री पात्र प्रयागराज मेहता ,(प्रेमचन्द की बस्ती, सं.विजयदान देथा),पृ.50
8. मधुरेश, नागार्जुन के उपन्यास, वर्तमान साहित्य,मई- 2011,पृ.19

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