( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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देवनागरी लिपि और संचार माध्यम

    1 Author(s):  DR.USHA BANSODE

Vol -  9, Issue- 9 ,         Page(s) : 177 - 180  (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

भाषा और लिपि मनुष्य के विचार, संप्रेषण का प्रमुख माध्यम है। लिपि भाषा का लिखित पर्याय है। शिक्षा ज्ञानविज्ञान, प्र©द्य¨गिक, राजनिती, समाज, न्याय, विधी, इतिहास, भूग¨ल आदि विभिन्न विषयांे की जानकारी लिपी व्दारा ही हो सकती है। भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत की लिपि क¨ ृदेवनागरी’ लिपि कहा जाता है । भारत में प्राचीन म©र्यकाल में ब्राह्मी लिपि प्रचलित थी। देवनागरी की व्युत्पत्ती भारत की प्राचीन ृब्राह्मी’ लिपि से हुई है। हिन्दी की सभी ब¨लीयॉं देवनागरी लिपि में ही लिखी जाती है। साथ ही मराठी, गुजराती, अ©र नेपाली भाषा के लिए भी देवनागरी लिपि ही प्रयुक्त की जाती है। ृृदेवनागरी किसी समय भारत की राष्ट्र्रीय लिपि थी अ©र 8 वी से 10 वी शताब्दी के बीच उसमें अपेक्षित पूर्णता आ चुकी थी। गुप्तलिपि से अंतर बताने के लिए देवनागरी शब्द का उपय¨ग 9 वी शताब्दि में प्रचलित हुआ। देवनागरी का शाब्दिक अर्थ है देवलिपि या वह ज¨ देवताअ¨ं की नगरी ह¨।

1) विश्वहिंदी अक्टूबर 1983, डॉ.बाबूराम सक्सेना, पृ.141.
2) विश्वहिंदी अक्टूबर 1983, श्रीम¨हनलाल सर, पृ.159.
3) डॉ.के.डी.कलसरिया हिंदी साहित्य अ©र जनसंचार माध्यम पृ.423.
4) प्रकाश बरतुनिया हिंदी का विस्तार पाता विश्व गगनांचल जुलाई अक्टूबर 2015.
5) डॉ.अर्जून चव्हाण मीडिया कालीन हिंदी का स्वरुप एवं संरचना पृ.47.
6) प्रकाश बरतूनिया गगनांचल जुलाई अक्टूबर 2015 पृ.107
7) डॉ.स्वाति श्वेता गगनांचल जुलाई अक्टूबर 2015 पृ.148.

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