शर्मा, डॉ. सतीश, गांधीज टीचर: जॉन रस्किन , गुजरात विद्यापीठःअहमदाबाद, 2011, पृ. 12
‘‘ रस्किन और गाँधी दोनों के लिए ही औद्योगीकरण ही वह अपराधी है जिसने शांतिपूर्ण आत्म निर्भर ग्राम समाज के उनके ग्रामगीत को नष्ट कर दिया ।’’ दाँतवाला, एम.एल., ‘‘गाँधीजी एंड रस्किन‘स अन्टु दिस लास्ट’, इकानॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली, खंड 30,अंक 44 (नवंबर 4, 1955), पृ. 2794
शर्मा, जे. एन., अल्टरनेटिव इकानॉमिक्सः इकानॉमिक्स ऑफ महात्मा गांधी एण्ड ग्लोबलाइजेशन, दीप एंड दीप पब्लिकेशनः नई दिल्ली,2003, पृ.6
कार्लाइल, थॉमस, थॉमस कार्लाइल कलेक्टेड वक्र्स - पास्ट एंड प्रजेंट, खंड 13, चैपमैन एंड हॉलर (लिमिटेड)ःलंदन, 1843, पृ.245
वही, पृ. 85
देखें, कुक, ई.टी., ए. वेडरडम(सं.), द वक्र्स आफ जॉन रस्किन, जार्ज एलनः लंदन, 1905, पृ.183
वही, पृ. 105
हॉब्सन, जे.ए., जॉन रस्किनः सोशल रिफॉर्मर, डॉना ईस्टर एंड कंपनीः बोस्टन, 1898,पृ. 285
रस्किन, जॉन, द सेवन लैम्पस ऑफ आर्किटेक्चर, जार्ज एलनः लंदन, 1889, पृ. 174
रस्किन, जॉन, द नेचर ऑफ गोथिक, जार्ज एलनः लंदन, 1892, पृ. प.पप
वही, पृ. 29
हॉब्सन, जे.ए., जॉन रस्किनः सोशल रिफॉर्मर, डॉना ईस्टर एंड कंपनीःबोस्टोन, 1898,पृ. 278-79
वही, पृ. 166
रस्किन, जॉन, अन्टु दिस लास्ट , जॉन विले एंड संसः न्यूयार्क, 1872
वही, पृ. 44-45
वही, पृ.56
वही, पृ.60
वही, पृ.125-26
घोष, शंकर, महात्मा गांधी, एलाइड पब्लिशसः नई दिल्ली, 1991,पृ. 55
परेल, एंथोनी जे., गांधीज फिलासफी एंड द क्वेस्ट फॉर हार्मनी, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेसः लंदन, 2006, पृ. 73-74
वही, पृ.60