( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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मानवीय श्रम: कार्लाइल और जॉन रस्किन

    1 Author(s):  SHAMBHU JOSHI

Vol -  4, Issue- 2 ,         Page(s) : 757 - 760  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

महात्मा गांधी के विचारों को प्रभावित करने में जान रस्किन और कार्लाइल का नाम भी शामिल है। जान रस्किन की पुस्तक अन्टु दिस लास्ट का उन पर प्रभाव सर्वविदित है। यह आलेख जॉन रस्किन और कार्लाइल के शरीर श्रम संबंधी विचारों को प्रस्तुत करता है। यह आलेख उनके श्रम संबंधी विचारों का उल्लेख कर उनमें निहित विषयों को प्रस्तुत करता है। रस्किन ने श्रम विभाजन को अमानवीय बता कर पूंजीवाद के अंतर्गत औद्योगीकरण, उसकी उत्पादन प्रणाली की घोर आलोचना की। कार्लाइल ने अपने समय के राजनीतिक अर्थशास्त्र के अंतर्गत मुक्त व्यापार और प्रतिस्पर्धा की आलोचना की। जाॅन रस्किन और कार्लाइल ने श्रम संबंधी विचारों को मानवीय आयामों से जोड़ कर प्रस्तुत किया। गांधीजी के विचारों को उन्होंने कैसे प्रभावित किया, यह भी जान सकेंगे।

शर्मा, डॉ. सतीश, गांधीज टीचर: जॉन रस्किन , गुजरात विद्यापीठःअहमदाबाद, 2011, पृ. 12
   ‘‘ रस्किन और गाँधी दोनों के लिए ही औद्योगीकरण ही वह अपराधी है जिसने शांतिपूर्ण आत्म निर्भर ग्राम समाज के उनके ग्रामगीत को नष्ट  कर दिया ।’’ दाँतवाला, एम.एल., ‘‘गाँधीजी एंड रस्किन‘स अन्टु  दिस लास्ट’, इकानॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली, खंड 30,अंक 44 (नवंबर 4, 1955), पृ. 2794
   शर्मा, जे. एन., अल्टरनेटिव इकानॉमिक्सः इकानॉमिक्स ऑफ महात्मा गांधी एण्ड ग्लोबलाइजेशन, दीप एंड दीप पब्लिकेशनः नई दिल्ली,2003, पृ.6
   कार्लाइल, थॉमस, थॉमस कार्लाइल कलेक्टेड वक्र्स - पास्ट एंड प्रजेंट, खंड 13, चैपमैन एंड हॉलर (लिमिटेड)ःलंदन, 1843, पृ.245
   वही, पृ. 85
   देखें, कुक, ई.टी., ए. वेडरडम(सं.), द वक्र्स  आफ जॉन रस्किन, जार्ज एलनः लंदन, 1905, पृ.183
   वही, पृ. 105
   हॉब्सन, जे.ए., जॉन रस्किनः सोशल रिफॉर्मर, डॉना ईस्टर एंड कंपनीः बोस्टन, 1898,पृ. 285
   रस्किन, जॉन, द सेवन लैम्पस ऑफ आर्किटेक्चर, जार्ज एलनः लंदन, 1889, पृ. 174
   रस्किन, जॉन, द नेचर ऑफ गोथिक, जार्ज एलनः लंदन, 1892, पृ. प.पप
   वही, पृ. 29
   हॉब्सन, जे.ए., जॉन रस्किनः सोशल रिफॉर्मर, डॉना ईस्टर एंड कंपनीःबोस्टोन, 1898,पृ. 278-79
   वही, पृ. 166
   रस्किन, जॉन, अन्टु दिस लास्ट , जॉन विले एंड संसः न्यूयार्क, 1872
   वही, पृ. 44-45
   वही, पृ.56
   वही, पृ.60
   वही, पृ.125-26
   घोष, शंकर, महात्मा गांधी, एलाइड पब्लिशसः नई दिल्ली, 1991,पृ. 55
   परेल, एंथोनी जे., गांधीज फिलासफी एंड द क्वेस्ट फॉर हार्मनी, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेसः लंदन, 2006, पृ. 73-74
   वही, पृ.60

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