( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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ओम प्रकाश वाल्मीकि का दलित चिंतन

    1 Author(s):  RAVINDRA KUMAR

Vol -  10, Issue- 6 ,         Page(s) : 434 - 438  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

दलित साहित्य अपने उद्भव में नया नहीं है,तो इसे शोध की परिधि में रखकर इस पर आज के समय में जीवन्त बहस चल रही हैं । जब से सृष्टि निमार्ण हुआ ,तब से मानव जाति का उदय हुआ माना जाता हैं । मानव अपने कर्मो के अनुसार चार भागों मे विभक्त हो गया, आदिकाल में नाथों और सिद्वों का साहित्य भक्तिकाल में कबीर और रैदास जैसे संतो की कविताएं तथा परवर्ती काल में हीरा डोम की कविता के साथ ही गद्य के आगमन और अभिव्यक्ति के नूतन माध्यमों ने साहित्य की इस मुख्य धारा को अनेक दिशाओं में मोड़ने की कोशिस की गई,और अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए यें दासों की तरह दूसरों पर आश्रित रहते थे और चाह कर भी अपने जीवन सें सम्बंधित निर्णय नहीं ले सकते थें ।

1-डाॅ0 प्रकाश कुमार ”दलित चिंतन’’, विश्वभारती पब्लिकेशन   पृ01-2
2-रामचन्द्र वर्मा संक्षिप्त शब्द सागर मूल सम्पादित, प्रचारणी सभा काशी पृ0 468
3-वृहद हिन्दी कोश-ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी पृ0 3
4-धीरेन्द्र वर्मा हिन्दी साहित्य कोश- पृ0 6
5-डाॅ0 सत्यनारायण दुबे ’पीड़ा दलित समाज की’ पृ0 13
6 www.kavitakosh.org

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