( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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पॉल की तीर्थ यात्रा- अद्भुत प्रेम कथा

    1 Author(s):  DR SUDHANSHU KUMAR SHUKLA

Vol -  10, Issue- 7 ,         Page(s) : 279 - 283  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

अर्चना पैन्यूली का उपन्यास “पाल पॉल की तीर्थ यात्रा” आध्यात्मिक, धार्मिकता का बोध करता है, एक बार सुनने के बाद मेरी इसे पढ़ने की इच्छा नहीं हुई, किन्तु लेखिका द्वारा कई बार जिक्र करने पर आखिर इस उपन्यास को मंगवाकर मैंने एक ही बैठक में इसे खत्म किया। 191 पृष्ठों का यह उपन्यास एक ही बैठक में खत्म करने का यह संकेत देता है कि उपन्यास में जिज्ञासा और आकर्षण का मिश्रण अद्भुत ही है। लैला मजनूँ या यूँ कहें कि विवाह पूर्व के प्रेम संबंधों की गाथाओं का तो भंडार साहित्य में मिल जाएगा, परंतु पति-पत्नी के संबंधों को केवल मात्र यथार्थ के धरातल पर दिखाना और हृदय को बाँध देने में महारथ वास्तव में लेखिका में है। ऐसे देश में जहाँ दो तीन विवाह, तलाक का सिलसिला कोई नई बात नहीं है। तलाक होना, पुनर्विवाह करना, फिर तलाक लेना, फिर विवाह करना अर्थात् जहाँ संबंधों का मूल्य केवल अपना व्यक्तिगत सुख होता है, वहाँ पर प्रेम का महायज्ञ कोई प्रवासी भारतीय लेखिका ही दिखा सकती है और इस उपन्यास की कहानी के कलेवर में यद्यपि डेनमार्क और स्कॉटलैण्ड की धरती है, परंतु बीज भारतीय ही है।

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