International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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लघुसिद्धान्तकौमुदीस्थ प्रकरणों के क्रम का औचित्य विमर्श
2 Author(s): VINEET KUMARI , DR. SATYAPAL SINGH
Vol - 9, Issue- 7 , Page(s) : 216 - 222 (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
सिद्धान्तकौमुदी एवं लघुसिद्धान्तकौमुदी पाणिनीय अध्ययन की प्रक्रिया परम्परा के दो महनीय ग्रन्थ हैं। सिद्धान्तकौमुदी इस परम्परा का अत्यन्त प्रौढ़ और चर्मोत्कर्ष को प्राप्त सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ माना जाता है तो वहीं लघुसिद्धान्तकौमुदी को व्याकरणशास्त्र में प्रवेश के लिए प्रक्रिया परम्परा में सर्वोत्कृष्ट स्थान प्राप्त है। दोनों ही ग्रन्थकारों के सामने लक्ष्य भिन्न-भिन्न थे, एक का उद्देश्य फ्बालानां सुखबोधायय् था तो दूसरे के सामने पाणिनीय शास्त्र के गूढ़ ज्ञान को समग्रता से पाठक के सामने पहुँचाना था। सतत विकास को प्राप्त होती हुई परम्परा में अध्यापक और लेखक निरन्तर नए प्रयोगों और अनुभवों से गुजरते हैं।