International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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हिन्दी गद्य की विकास यात्रा
1 Author(s): DR. SUMAN
Vol - 8, Issue- 9 , Page(s) : 267 - 270 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
हिन्दी-गद्य शैली का इतिहास बहुत विस्तृत है। तब भी संक्षेप में यहां उसकी चर्चा करना आवश्यक है। केवल कुछ मुख्य बातों का उल्लेख करके उसका दिग्दर्शन कराना पाठकों के लिए उपयोगी होगा। राष्ट्रभाषा हिन्दी के गद्य का जन्म बहुत प्राचीन काल में हुआ था। परन्तु निश्चित समय के विषय में बड़ा मतभेद है। कारण, प्राचीन गद्यग्रन्थ दुर्लभ हैं। भारत में प्राचीन हस्तलिखित पोथियों के कितने ही विशाल भाण्डार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा नष्टभ्रष्ट कर दिये गये। इतिहास इस बात का साक्षी है। राष्ट्रविप्लव के समय भी अनेक प्राचीन ग्रन्थागार विनष्ट हो गये। प्राचीन हस्तलेखों की बहुत बड़ी राशि आज भी देश भर में जहां-तहां बिखरी पड़ी है। जो पुरानी पोथियां कहीं-कहीं संग्रहालयों में पड़ी हुई हैं उनमें से भी अधिकांश का निरीक्षण-परीक्षण और अध्ययन-अनुशीलन इस मुद्रण-युग में नहीं हो रहा है। अतः दृढ़-निश्चय के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि पुराकाल में गद्य लिखा ही नहीं जाता था।