International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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आधुनिक भारतीय बैंकिंग व्यवसाय में ग्राहकों की शिकायतों के समाधान में बैंकिंग लोकपाल की भूमिका (उत्तराखण्ड के ऊधम सिंह नगर जिले के विशेष सन्दर्भ में)
1 Author(s): AMIT KUMAR
Vol - 8, Issue- 6 , Page(s) : 267 - 275 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
लोकपाल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित प्रधिकरण होता है जो बैंकिंग सेवाओं से सम्बंधित शिकायतों के निपटान हेतु स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। बैंकिंग लोकपाल ग्राहकों की ऐसी शिकायतों का निपटारा करता है जो बैंक द्वारा दी जाने वाली सेवा में कमी से सम्बंधित हो तथा जिन्हे बैंक द्वारा खारिज कर दिया गया हो। बैंकिंग लोकपाल योजना की शुरूआत 1995 में ग्राहकों की शिकायतों को तत्परतापूर्वक एवं कम खर्च में सुलझाने के लिए हुई थी। बैंकिंग लोकपाल एक अर्धन्यायिक तंत्र है जो बिना किसी विधिक फीस के बिना किसी अधिवक्ता की सहायता के ग्राहकों की शिकायतों के तत्काल और प्रभावी निपटान हेतु स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उन सभी वाणिज्यिक बैंकों जिनकी शाखाएँ 10 या उससे अधिक है, को ग्राहकों की बैंकिंग शिकायतों की समीक्षा करने के लिए एक स्वतंत्र आन्तरिक लोकपाल नियुक्त किया जाता है। लेकिन उत्तराखण्ड़ के ऊधम सिंह नगर जिलेे में अधिकांश ग्राहक बैंकिंग लोकपाल योजना से परिचित नहीं है जो बैंक के साथ किसी बैकिंग विवाद की स्थिति में न्यायालय जाते है तथा जो बैंकिंग लोकपाल योजना से परिचित है वे बैंकिंग लोकपाल द्वारा पूर्व में बैंकिंग विवाद के निपटारे में दिये गये निर्णयों से संतुष्ठ नहीं है। भारत में बैंकिग लोकपाल कार्यालयों की संख्या कम होने के कारण अधिकांश कार्यालयों में ग्राहकांे की शिकायते अधिक समय तक लंम्बित रहती हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के जारी किये गये ये निर्देश वाणिज्यिक बैंकों द्वारा प्रायोजित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर लागू नहीं होते है। कई बार ग्राहकों की शिकायतों को बैंकिंग लोकपाल द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है।
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