( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भारत की विदेश नीति: एक रूपरेखा

    1 Author(s):  NARENDER KUMAR

Vol -  9, Issue- 9 ,         Page(s) : 219 - 224  (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

भारतीय विदेश नीति स्वतंत्रता के पश्चात् पिछले 60 वर्शों में कई कारकों के फलस्वरूप कई परिवर्तनों से गुजरी। इनमें से एक है षीत युद्ध की समाप्ति से अन्तर्राश्ट्रीय परिवेष में परिवर्तन और अमेरिका का एक महाषक्ति के रूप में उभरना। दूसरा घरेलू परिवर्तन जिसमें एक पार्टी सरकार के स्थान पर 21वीं षताब्दी में गठबंधन सरकार का आना। तीसरा, इनके परिणाम स्वरूप प्रधान मंत्रियों के व्यक्तित्व में परिवर्तन से भी बदलाव हुआ। भारतीय विदेष नीति के मूलभूत सिद्धान्तों में से एक है गुटनिरपेक्षता। अभी भी भारतीय विदेष नीति गुटनिरपेक्षता के ढांचे में गंुथी हुई है। भारतीय विदेष नीति में 1990 के दषक में अत्यधिक बदलाव हुए जो कि एक सार्वजनिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था से उदारीकरण की अर्थव्यवस्था में प्रवेष किया। किसी भी देष की विदेष नीति नई सरकार आने से अपने पुराने संबंध को तोड़ नहीं देती। वर्तमान सरकार की ‘पहले पडोस’ नीति कांगे्रस के नेतृत्व वाली दषकों पुरानी नीति के अनुसार है जिसने पड़ोसियों के साथ दोस्ती पर जोर दिया। उसी के तहत बांग्ला देष, अफगानिस्तान व दक्षिण-पूर्वी एषिया के देषों के साथ सम्बन्ध दोस्ताना रहे हैं। विष्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और जनसंख्या की दृश्टि से दूसरा सबसे बड़ा देष जो कि वैष्विक परिवर्तन के साथ स्वयं को परिवर्तित कर रहा है और हर चुनौतियों का डटकर सामना कर रहा है। संयुक्त राश्ट्र संघ में सुधार का प्रबल समर्थन करके भारत ने विष्व के देषों में नई ऊर्जा भर दी है। वर्तमान समय में भारतीय विदेष नीति में एक सार्थक बदलता देखने को मिला जो कि परम्परागत रूप से विनम्र व सहनषीलता के स्थान पर उसका आक्रामक व्यवहार। भारत के पड़ोसी देष पाकिस्तान द्वारा कष्मीर समस्या का मुद्दा राश्ट्र संघ के सामने उठाने व राज्य प्रायोजित आतंकवाद से भारत को नुकसान पहुँचाने की कोषिष को भारत ने बेनकाब किया। सर्जिकल स्ट्राइक द्वारा पहली बार पाकिस्तानी सीमा में प्रवेष कर उनके आतंकवादी कैम्पों को नश्ट किया। दूसरे पड़ोसी देष चीन से भारत को हमेषा सतर्कता के साथ काम करना चाहिए। अतीत में चीन द्वारा भारत पर आक्रमण जो कि भारत की विदेष नीति की एक भूल थी। परन्तु वर्तमान में चीन युद्ध के द्वारा नहीं बल्कि आर्थिक व व्यापारिक तरीकों से भारत पर दबाव बनाना चाहता है। भारत की स्वतंत्र व स्वायत विदेष नीति का प्रमाण है कि भारत ने ‘रिजनल काॅम्प्रिहेंसिव इकोनाॅमिक पार्टनरषिप’ में षामिल होने से भारत ने मना कर दिया। यह समझौता आसिचान के 10 देषों व एषिया व प्रषान्त के 6 अन्य देषों के बीच प्रस्तावित एक व्यापक स्वतंत्र व्यापार समझौता है क्योंकि इससे भारत का अधिकांष देषों खासकर चीन के साथ व्यापार संतुलन प्रतिकूल है। वर्तमान समय में भारत द्वारा विभिन्न वैष्विक सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है। भारत द्वारा विष्व को ‘योग’ की बहुमूल्य उपहार देने की घोशणा के फलस्वरूप संयुक्त राश्ट्र संघ ने ‘विष्व योग दिवस’ की स्थापना की। हमें भारत-अमेरिका-जापान त्रिपक्षीय संवाद के साथ सम्पर्क और बढ़ाना चाहिए था। बेहतर होगा कि समान क्षेत्रीय उद्देष्यों वाले समूह मंे आॅस्ट्रेलिया को भी षामिल कर चतुर्पक्षीय सम्पर्क बढ़ाया जाए। भारत अपनी प्रत्येक नीति का स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने के अपने अधिकार को बनाए रखने और अपनी नीति अनुक्रिया को बनाने का दावा करता है। लेकिन भारत बहुधु्रवीय विष्व में आगे-आगे रास्ता दिखाने का काम करता है, जहाँ अन्य खिलाड़ियों के साथ वह एक स्वतंत्र खिलाड़ी के रूप में उभर सकें।

1. IGNOU Book Notes
2. http://wikipedia.org.com
3. डा. फडिया बी.एल., अन्तर्राश्ट्रीय राजनीति
4. डा. वैदिक वेद प्रताप, भारतीय विदेष नीति
5. जे. बंदोपाध्याय, दि मेकिंग आॅफ इंडियन फोरेन पाॅलिसी, 1980
6. वी.पी. दत्त, इंडियन फोरेन पाॅलिसी
7. थरूर षषि, रिजन आॅफ स्टेट, इंडियन फोरेन पाॅलिसी अंडर मिसेज गांधी, 1966-77
8. हक्सर, पी.एन., फोरेन पाॅलिसी आॅफ इंडिया, 2001

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