( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भारतीय राजनीति में श्वेत वसन अपराध एक समाज शास्त्रीय अध्ययन

    1 Author(s):  DR.RAGHVENDRA PRATAP SINGH

Vol -  9, Issue- 9 ,         Page(s) : 231 - 233  (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

प्रत्येक समाज में जहाँ कुछ कानून व्यक्ति के व्यव्हारो पर नियंत्रण रखते है, वही सामाजिक नियंत्रण को बनाये रखने में धार्मिक विश्वासो, प्रथाओ नैतिक नियमो तथा सामान्य रीती रिवाजो का महत्त्व भी कम नहीं होता है अपराध के सम्बन्ध में जनमानस की यह धारणा होती है कि अनैतिक कार्य करना ही अपराध है, क्योकि अनैतिक कार्य समाज विरोधी होते है लेकिन हम किन कार्यो को अनैतिक कहें यह प्रश्न और जटिल है हमारे समाज में अपनी जाति के बाहर विवाह करना अथवा सांस्कृतिक नियमो को तोड़ना अनैतिकता हो सकती है, जबकि पश्चिमी देशो में ऐसे व्यवहारों को अनैतिक नहीं समझा जाता है इस स्थिति में यह उचित ही समझा जाता है कि कानून विरोधी आचरण करना ही अपराध है पुनः यह समस्या उत्पन होती है कि समाज में कानून जिस व्यवहार को निषिद्ध घोषित करते है, उसी व्यवहार को दूसरे समाज में कानून की मान्यता मिल सकती है स्वयं कानून पर भी प्रथाओ तथा संस्कृति का गहरा प्रभाव होता है यदि यह कहा जाये अपराध कानून विरोधी वह व्यवहार है, जिसके लिए राज्य की ओर से दण्ड दिया जाता है तो इस परिभाषा से उन लोगो के समाज विरोधी व्यवहारों का समावेश नहीं हो पायेगा

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