( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भारतीय समाज पर पाश्चात्य विज्ञान स्वं प्रोधोगिकी के प्रभाव

    1 Author(s):  PROF. RAGINI KUMARI

Vol -  11, Issue- 6 ,         Page(s) : 207 - 210  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

हमारा भारत मानव सभ्यता के उद्गम स्थलों में से एक है ।भारत के सांस्कृतिक विरासत विकाश के अनेक चरणों से होकर आगे बढ़ी है और अनेक समन्यवादी अनुभवों से भरीपूरी है । भारत के ज्ञानात्मक विकाश ने जहाँ एक ओर विश्व संस्कृति को प्रभावित किया है वहीँ भारत के भौतिक विकाश में विश्व की अनेक संस्कृतियों की झलक स्पष्ट दिखाई पड़ती है । वास्तव में , भारत उस अविरल नदी के समान है जिसमे अनेक धारायें विभिन्न दिशायों से आकर मिलती रही है । प्राचीन काल में भारत में आर्य संस्कृतियों का आगमन हुआ तो मध्यकाल में मुस्लिम संस्कृति का और आधुनिक काल में पाश्चात्य संस्कृति अपनी अनेक विशेषताओं को भारतीय संस्कृति में मिल गई । पाश्चात्य संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं में विज्ञान एवं प्रोधोगिकी के भौतिकवादी स्वरूप का विकाश हो रहा है । जबकि प्राचीन भारत में विज्ञान स्वं प्रोधोगिकी के आध्यत्मिक स्वरूप का विकाश हुआ था ।

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