( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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भाषाओं का अस्तित्व और आपसी द्वंद्व।

    1 Author(s):  REKHA KUMARI

Vol -  10, Issue- 4 ,         Page(s) : 657 - 659  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

अक्सर भाषाओं को लेकर बहसें होती रहती हैं।कौनसी अच्छी है कौनसी बुरी है कौनसी श्रेष्ठ है।कौनसी कौनसा दर्ज़ा रखती है इत्यादि इत्यादि। इससे बेहतर तो यह है कि हम अपने अंदर झाकें देखें कमी कहाँ है? भाषा बोली उपबोली कैसे मरती है। इसके लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार ज्वाबदेह कौन है? हम सरकार को कोसते हैं मगर शुरुआत हमारे घर से होती है भाषा बोली उपबोली सबसे पहले हमारे घर में मर रही है। हम मार रहे हैं अपने इगो से,अपने स्टेंडर्ड कि खातिर। झूठे अभिमान के लिए।

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