International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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शब्द-ब्रह्म और महर्षि मेंहीं
1 Author(s): DR. HARI KISHOR ARYA
Vol - 11, Issue- 8 , Page(s) : 151 - 154 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
शब्द रूपी महान् देव मनुष्यों में आकर प्रविष्ट हुआ है अर्थात् पर ब्रह्मस्वरूप और अन्तर्यामि रूप से शब्द मनुष्यों में पैठ गया है। जो पुरूष व्याकरण शास्त्र के ज्ञानपूर्वक शब्दों को संस्कार के साथ व्यवहार में लाता है, वह पाप-रहित हो जाता है और इस अन्तः प्रविष्ट शब्द ब्रह्म के साथ पूर्ण रूप से मिल जाता है ।