International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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महिला सशक्तिकरण एवं मानवाधिकार
1 Author(s): SACHIN KAUSHIK
Vol - 5, Issue- 4 , Page(s) : 477 - 484 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
मानवाधिकारों में व्यक्ति की गरिमा तथा महत्व को बनायें रखने के साथ-साथ महिलाओं के विरूद्ध विभेद को समाप्त करने की सम्भावना भी बलवती होती है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्टीय स्तर पर महिलाओं की मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता तथा जानकारी महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को बढावा देने में बहुत महत्वपूर्ण है। परिवार के कल्याण और समाज के विकास में महिलाओं के महान योगदान को जिसका पूरा-पूरा महत्व अब तक स्वीकार नही किया गया है, मातृत्व के सामाजिक महत्त्व तथा परिवार में बच्चां के लालन-पालन में माता-पिता दोनों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए इस बात के सम्बन्ध में सजग रहकर की प्रजोत्पत्ति में महिलाओं की भूमिका को उनके खिलाफ विभेद का आधार नही बनाना चाहिए बल्कि बच्चों के लालन-पालन के लिए यह जरूरी है कि स्त्री-पुरुष दोनों ही इस दायित्व को पूर्ण करने में भागीदारी करें। इसके साथ महिलाओं के प्रति राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक नागरिक या अन्य किसी प्रकार के विभेद को समाप्त करने के लिए तथा महिलाओं के अधिकारो की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने लिंग-भेद के विरूद्ध कारगर उपाय करने के लिए विभिन्न राष्ट्रों का आहवान करते हुए सन् 1979 में 18 अक्टूबर को सम्पन्न अपनी महासभा में महिलाओं के विरूद्ध सभी प्रकार के भेद-भाव को समाप्त करने के लिए अभिसमय को स्वीकृत किया तथा जिसे 3 सितम्बर 1981 से लागू किया गया।