( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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वैश्विक भाषाओं के संदर्भ में अनुवाद की प्रयोजनीयता

    1 Author(s):  DR. KUSUM KUNJA MALAKAR

Vol -  11, Issue- 8 ,         Page(s) : 268 - 274  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

आज ग्लोबलाइजेशन एवं बहुभाषिकता का युग है। ग्लोबलाइजेशन एवं बहुभाषिकता विभिन्न देशों की संस्कृतियों, आषाओं एवं भौगोलिक सीमाओं में परस्पर आदान प्रदान के कारण उत्पन्न समन्वित स्थिति एवं स्वरूप की देन हैं। काफ़ी हद तक यह स्थिति विभिन्न देशों के साहित्य के परस्पर अनुवाद के कारण ही संभव हो पाई है। इसलिए आज के ग्लोबलाइजेशन युग में सृजनात्मक साहित्य के अनुवाद का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। इस आधार पर अगर वर्तमान युग को अनुवाद का युग कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यदि अनुवाद न होता तो विश्वसंस्कृति की इतनी बड़ी और महत्त्वपूर्ण परंपरा विकसित नहीं होती। भाषा आभ्यंतर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं वह हमारे आभ्यंतर के निर्माण, विकास, हमारी अस्मिता, सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का भी साधन है । भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण हैं और अपने इतिहास तथा परम्परा से विच्छिन्न है ।

देवसेन,नवनीता, वर्मा बोधिनी, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली ।
भोलानाथ तिवारी  अनुवाद विज्ञान दिल्ली, 1972 ।
भाटिया कैलाश चन्द्र, अनुवाद कला सिद्धात और प्रयोग दिल्ली, 1985 ।
रणसुभ, सूर्यनारायणे, अनुवाद का समाजशास्त्र,  गाजियाबाद, अमित प्रकाशन।
गोस्वामी, कृष्ण कुमार, अनुवाद विज्ञान की भूमिका,राज कमल प्रकाशन, नई दिल्ली ।
कैटफोर्ड, जे सी ए लिग्विस्टिक थ्योरी ऑव ट्रांसलेशन, एन एस्से इन एप्लाइड लिंग्विस्टिक्स 1965 ।
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