International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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आरसी प्रसाद सिंह की रचना ‘माटिक दीप’ में समसामयिक जीवन की अभिव्यक्ति
1 Author(s): DR. SANTOSH KUMAR JHA
Vol - 8, Issue- 6 , Page(s) : 297 - 299 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
कवि और उनका काव्य किसी दूसरे संसार से नहीं आते हैं। कवि इसी धरातल पर अवतीर्ण होते हैं और उनके काव्य की रचना इसी सामाजिक वातावरण में होती है। समाज और देश की अवस्था को साधारण मनुष्य मूक होकर देखता है, अनुभव करता है परन्तु कवि अपनी काव्य प्रतिभा से उसे समाज में अभिव्यक्त कर देते हैं। समाज की प्रमुख प्रवृत्तियाँ अनायास ही उनके काव्य में अपना स्थान बना लेती हैं। कवि अपने समय का प्रतिनिधित्व करते हैं। संसार के प्रत्येक साहित्य पर दृष्टिपात करने से यह स्पष्ट होता है कि कवि अपने देश और समय की विभिन्न विचारधारा को अपने काव्य में स्थान देते हैं, लोकप्रवृत्ति से भिन्न राग अलापने वाले कवि समाज में आदर के पात्र नहीं होते हैं। कवि को तो समाज के स्वर में स्वर मिलाकर चलना पड़ता है।