International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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आधुनिकता की कसौटी में वैदिक नैतिक शिक्षा
1 Author(s): LALIT PRADHAN ARYA
Vol - 4, Issue- 3 , Page(s) : 738 - 744 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
वेदों से लेकर लौकिक साहित्य तक सर्वत्र नैतिक शिक्षा के विषय में भारतीय चिन्तकों तथा नीतिकारों ने प्रभूत चिन्तन किया है। भारत में सदा से ही धर्म-दर्शन और नीति एक-दूसरे से अपृथक रहे हैं। यहाँ पर सदा से धारणा रही है कि बिना नैतिक पवित्रता के सत्य का ज्ञान नहीं हो सकता। बिना श्रद्धा के आत्मा परमात्मा का दर्शन या अनुभव नहीं हो सकता और बिना बुद्धि के सदसदविवेक तथा मुकित नहीं हो सकती, इसलिए बुद्धि की कामना की गर्इ है- ''धियो यो न: प्रचोदयात। (य. 363)