( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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साहित्य में कवियों द्वारा आलोचना, आलोचना के क्षेत्र में एक सफल प्रयोग

    1 Author(s):  PIYUSH KUMAR PACHAK

Vol -  5, Issue- 1 ,         Page(s) : 275 - 281  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

प्रारमिभक हिन्दी में आलोचना लेखन का कार्य केवल गध रचनाकारों का माना जाता था। कवियों का कर्म केवल कविता करना, सौन्दर्य या विरह के साथ अपनी कविता के मेल जोल को समाज तक पहुँचाना। यही नही लौकिक व निराकार को मावनीक व सार्थकता का रूप प्रदान कर पाठकों को संदेश देना मात्र कविता के माध्यम से ही उनका मुख्य कार्य माना जाता था। कवि को पध रचना, गीत या शायरी का अथाह प्रयोग व लेखन में काव्य शास्त्र का सफल उपयोग करने का ही अधिकार था, आलोचना के दायरे से अलग रखा जाता था। हिन्दी साहित्य में साहितियक आलोचना के सैद्धानितक आधार की पृष्ठभूमि भारतीय काव्यशास्त्र के रूप में संस्कृत परम्परा में अत्यन्त सुदृढ़ है। इस परम्परा का मूल ग्रन्थ भरत-मुनि द्वारा रचित 'नाटयशास्त्र' है जिसमें इस सिद्धान्त की विवेचना का सुदृढ़ स्वरूप हमें मिलता है।

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1.      हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास: बच्चन सिंह, राधाकृष्ण  प्रकाशन, 7/31, अंसारी मार्ग,     दरियागंज नई दिल्ली 110002 पृ.स.304,390,502,503,505,508,50509,512,513
2.      परम्परा की आधुनिकता हजारीप्रसाद द्विवेदी: सं. अशोक वाजपेयी, पूर्वोदय प्रकाशन, 7/8 दरियागंज नई दिल्ली 110002 2006 पृ.स. 2,5,39

3.      आलोचना सागर: डाॅ. रामप्रसाद मिश्र, विनोद पुस्तक मन्दिर, आगरा, खण्ड 4क पृ.स. 21, खण्ड 4ख, पृ.स. 207,209,215,228 संस्करण प्रथम 1988

4.      हिन्दी साहित्य की भूमिका: हजारी प्रसाद द्विवेदी, पृ.स. 52

5.      हिन्दी साहित्य का समीक्षात्मक इतिहास: डाॅ. रामग ोपाल शर्मा ‘दिनेश‘ , कमल प्रकाशन नई दिल्ली 110002, पृ.स. 232,297,330,359

6.      फिलहाल: सं. वाजपेयी, अशोक, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, पृ.स. 189 संस्करण -1970

7.      हिन्दी साहित्य का इतिहास: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली 110002 पृ.स.351,372

8.      आलोचना के मुख से: डाॅ. नामवर सिंह, पृ.स. 92,93

9.      हिन्दी  आलोचना  का  विकास :  नन्दकिशोर  नवल,  राजकमल  प्रकाशन  नई  दिल्ली  1981पृ.स.15,26,59,97,157,210,275,277,374

10.      हिन्दी साहित्य का इतिहास: डाॅ. नगन्े द्र , राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली 110002 पृ.स.195,27

11.     तीसरा साक्ष्य: सं. वाजपेयी, अशोक, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, पृ.स. 25,59,92 संस्करण -1979

12.     आज और आज से पहले: नारायण, कुँवर, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, पृ.स. 27,43,71,

13.     अपनी बात, ब्लाॅग: प्रो. माधव हाड़ा, 22 जनवरी, 2012

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