International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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उत्तर मुगलकालीन भारत के आर्थिक स्त्रोतों का अध्ययन
1 Author(s): ANIL KUMAR
Vol - 5, Issue- 2 , Page(s) : 630 - 633 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
किसी भी देश की शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है। इसके लिए शासक आय के साधन तलाश करता है। उत्तर मुगलकालीन शासकों के समय में विभिन्न प्रकार के कर लगाये जाते थे जिनसे शासन को पर्याप्त आय होती थी। ओरंगजेब को एक सुसंगठित साम्राज्य प्राप्त हुआ था। कोष में अपर सम्पत्ति थी किन्तु साम्राज्य विस्तार तथा निरन्तर युद्धों में उसने पर्याप्त धन व्यय किया। उसने उस धन की पूर्ति के लिए आय के नवीनतम साधनों को खोजने के बजाय अपनी धार्मिक हठवादिता के कारण अनेक पुराने प्रचलित करों को भी बन्द कर दिया परिणामस्वरूप शाही कोष रिक्त हो गया तथा भविष्य में उसे तथा उसके उत्तराधिकारियों को आर्थिक कठिनाईयों का निरन्तर सामना करना पड़ा। उत्तर मुगल काल में शाही आय के प्रमुख स्त्रोत निम्न हैं-