International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
तिङन्त प्रक्रियाशिक्षण में श्रीमती पुष्पा दीक्षित की नवीन दृष्टि
1 Author(s): ASUTOSH SATI
Vol - 5, Issue- 2 , Page(s) : 730 - 734 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
पाणिनीय व्याकरण के तीन पक्ष हैं। प्रक्रिया, परिष्कार और दर्शन । प्रक्रिया से हमारा अभिप्राय प्रकृति प्रत्यय विभाग पुरस्सर आगम,आदेश, अतिदेश, वर्णविकार,वर्णविपर्यय करने के बाद उपलब्ध साधु शब्द राशि के ज्ञान से है। पाणिनीय प्रक्रियाओं में तिङन्त प्रक्रिया का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका महत्व वाक्य निर्माण में भी देखा जा सकता है। प्रत्येक वाक्य में तिङन्त (क्रियापद) की आकाङ्क्षा होती है। इस दृष्टि से