International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
सच और मानव का स्वभाव
1 Author(s): DR. DEEPAK KUMAR
Vol - 5, Issue- 11 , Page(s) : 144 - 147 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
सच और मानव का स्वभाव प्रगति के द्वन्द्व में फॅंसकर विवादपूर्ण बन गया है। उसको अन्दाजा ही नहीं है कि वह इस भाग दौड में स्वयं के ही जीवन को दाव पर लगा बैठा हैं। यह सच है कि आज मनुष्य छोटे-छोटे कामों को ठीक-ठीक करने में खुद को कमजोर महसूस पा रहा है और बुराई की तरफ बढ रहा है। जिसका प्रारूप इस प्रकार सामने आता है - 1. मानव में अवगुणों का पनपना। 2. भ्रष्टाचार को बढावा देना। 3. मानसिक रूप से कमजोर होना। 4. हिंसक कार्य को बढावा देना। 5. व्यक्ति के स्तर को नीचे गिराना।