( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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महिला विमर्श

    1 Author(s):  RAJESH KUMAR

Vol -  6, Issue- 6 ,         Page(s) : 96 - 99  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

महिला विमर्शप्रकृति ने सृष्टि की रचना की, सृष्टि रचना के दौरान ही प्रकृति ने इसे तरह-तरह के रंगों से सजाया और हमें सौन्दर्यबोध का अहसास कराया। प्रकृति ने इस सौन्दर्यबोध को प्रदर्शित करने के लिए अपनी कूची से कई अनमोल सुन्दर कृतियों को निर्मित किया; उनमंे आकर्षक रंग भरे, रंगों की विविधता भरी, सन्तुलित संरचना का निर्माण किया, विकसित मस्तिष्क दिया, तब जा कर एक अनमोल कृति निर्मित हुई-वह था ‘‘मानव’’। मानव द्वारा ही प्रकृति की रचना तब अपने चरम पर चली जाती हैं, जब सौन्दर्य बोध के साथ मानव एवं सौन्दर्य को एक ही प्रतिमूर्ति में ढाल दिया जाता है, तब रचना होती है ‘‘नारी’’ की।

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