( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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महादेवी वर्मा के काव्य में वेदना और प्रेम

    1 Author(s):  ASHOK BAIRAGI

Vol -  7, Issue- 2 ,         Page(s) : 100 - 104  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

छायावाद के आधार स्तंभों में एकमात्र महिला कवयित्री महादेवी वर्मा का जीवन अजीब कषमकष में बीता, जिसका प्रभाव हमें उनके कृतित्व में दिखाई देता है। उनके काव्य में जो दर्द है वह हमें एक रहस्यमय संसार में ले जाता है, जहॉं वियोग अपने सम्पूर्ण रूप में प्रकट होता है। महादेवी वर्मा ने अपने कृतित्व में वेदनाभाव, मृत्यु की महत्ता, सुख-दुख का सामंजस्य, चिर वियोग, चिर-अतृप्ति, उत्सर्ग की भावना, मुक्ति की अनिच्छा, उपालंभ, अमर संबंध, रहस्यमयता, प्रतिकात्मकता एवं प्रेम की चरम सीमा को प्राप्त करने की आकांक्षा का गहरा चित्रण किया है-

1. नीहार - महादेवी वर्मा, पृष्ठ संख्या 42 .
2. महादेवी वर्मा - गंगा प्रसाद पांडेय, पृष्ठ संख्या 13 .
3. महादेवी साहित्य समग्र-1 सं. निर्मला जैन .
4. महादेवी का वेदना भाव - जयकिषन प्रसाद खंडेलवाल, पृष्ठ संख्या 25 .
5. नीहार - महादेवी वर्मा, पृष्ठ संख्या 54 .
6. महादेवी चिंतन और कला - सं. इन्द्रनाथ मदान, राधाकृष्ण प्रकाषन नई दिल्ली .

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